SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 72
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०२) [भाग-4] “सूत्रकृत्” - अंगसूत्र-२ (मूलं+नियुक्ति:+वृत्तिः ) श्रुतस्कंध [२.], अध्ययन [१], उद्देशक [-], मूलं [३], नियुक्ति: [१५७] प्रत Poeceneceseseise सूत्रांक अपत्ते पउमवरपॉडरीयं णो हब्बाए णो पाराए अंतरा पोक्खरिणीए सेपंसि णिसन्ने दोचे पुरिसजाते ॥३॥ अहावरे तचे पुरिसजाते, अह पुरिसे पचत्थिमाओ दिसाओ आगम्म तं पुक्वरिणिं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिचा पासति तं एगं महं पउमवरपॉडरीय अणुपुव्वुट्टियं जाव पटिरूवं, ते तत्थ बोलि पुरिसजाते पासति पहीणे तीरं अपत्ते पउमवरपोंडरीयं णो हव्वाए णो पाराए जाव सेयंसि णिसने, तए णं से पुरिसे एवं बयासी-अहो णं इमे पुरिसा अखेयन्ना अकुसला अपंडिया अवियत्ता अमेहावी वाला णो मग्गत्था णो मग्गविऊ णो मग्गस्स गतिपरकमण्ण, जंणं एते पुरिसा एवं मन्ने-अम्हे एतं पउमयरपोंहरीयं उण्णिक्खिस्सामो, नो य खलु एयं पउमवरपॉडरीयं एवं उन्निक्खेतव्वं जहा णं एए पुरिसा मन्ने, अहमंसि पुरिसे खेयन्ने कुसले पंडिए वियत्ते मेहावी अवाले मग्गत्ये मग्गविऊ मग्गस्स गतिपरकमण्णू अहमेयं पउमवरपोटरीयं उन्निक्खिस्सामित्तिकट्ठ इति वुच्चा से पुरिसे अभिक्कमे तं पुक्खरिणिं जा जावं च णं अभिकामे तावं तावं च णं महंते उदए महते सेए जाव अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि णिसझे, तचे पुरिसजाए ॥ (सूत्रं ४)॥ अहावरे चउत्थे पुरिसजाए, अह पुरिसे उत्तराओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिणि, तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिचा पासति तं महं एग पउमवरपोंडरीयं अणुपुब्बुट्टियं जाव पडिरूवं, ते तस्थ तिन्नि पुरिसजाते पासति पहीणे तीरं अपत्ते जाव सेयंसि णिसन्ने, तए णं से पुरिसे एवं पपासी-अहो णं इमे पुरिसा अखेयन्ना जाव णो मग्गस्स गतिपरक्कमण्णू जपणं एते पुरिसा एवं मने-अम्हे एतं पउम दीप अनुक्रम [६३५] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[०२], अंग सूत्र-[०२] "सुत्रकृत्" मूलं एवं शिलांकाचार्य-कृत् वृत्ति: ~72~
SR No.035004
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 04 Sootrakrut Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages392
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy