SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४७४ नागरीप्रचारिणी पत्रिका बात पर ध्यान नहीं देते कि सूफी मत का एक पुराना रूप नास्टिक मत भी था। वास्तव में दोनों एक ही मत के दो भिन्न रूप हैं जो अपनी प्राचीन परंपरा का पूरा पूरा पता देते हैं। नास्टिक की बिखरी शक्ति का संपादन कर मनी ने जिस मत का प्रवर्तन किया वह सहसा भारत से स्पेन तक फैल गया। मसीही उससे दहल उठे। मादन-भाव के विकास अथवा सूफी. मत के इतिहास में मनी-मत के योग पर पूरा ध्यान नहीं दिया जाता। मनी ने मतों का समन्वय कर जो वातावरण उत्पन्न किया उसका प्रभाव स्वयं मुहम्मद साहब पर कम न पड़ा। मुहम्मद साहब ने मसीह के जीवन तथा मरण के संबंध में जो संदेह किया उसकी प्रेरणा इसी मत की ओर से हुई थी। उन पर भी प्रारंभ में मनी-मत का आरोप किया गया था। कुछ लोग उन्हें भी मनी का अनुयायी समझ रहे थे। यही नहीं, हल्लाज को इसी मत का प्रचारक कहकर दंड दिया गया और आगे चलकर मनी-भक्त जिंदीक के नाम से ख्यात हुए। मसीही संघ को व्याकुल करने तथा अपने को मसीह एवं बुद्ध घोषित करनेवाला मनी' जन्मत: पारसी था। उसका जन्म संवत् २७२ में बगदाद में हुआ था। जिज्ञासा की प्रबल प्रेरणा से उसने भारत तथा चीन की यात्रा की। उस पर बौद्धमत का प्रकथ प्रभाव पड़ा। मसीही लेखक उसको टिरिविथस (त्रिविंशत) बुद्ध कहते हैं। पीरोज की मुद्राओं पर उसका नाम 'बुल्द'मय अंकित है। कहा गया है कि वास्तव में यह 'बुल्द' बुद्ध का रूपांतर है। मनी-मत में बुद्ध-मत की भांति ही स्त्री-पुरुष दोनों ही (१) Origin of Manicheism p. 15 (२) Theism in Medieval India p. 91 (1) Origin of Manicheism p.16 (Muslim Review) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034975
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1936
Total Pages134
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy