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नागरीप्रचारिणी पत्रिका बात पर ध्यान नहीं देते कि सूफी मत का एक पुराना रूप नास्टिक मत भी था। वास्तव में दोनों एक ही मत के दो भिन्न रूप हैं जो अपनी प्राचीन परंपरा का पूरा पूरा पता देते हैं।
नास्टिक की बिखरी शक्ति का संपादन कर मनी ने जिस मत का प्रवर्तन किया वह सहसा भारत से स्पेन तक फैल गया। मसीही उससे दहल उठे। मादन-भाव के विकास अथवा सूफी. मत के इतिहास में मनी-मत के योग पर पूरा ध्यान नहीं दिया जाता। मनी ने मतों का समन्वय कर जो वातावरण उत्पन्न किया उसका प्रभाव स्वयं मुहम्मद साहब पर कम न पड़ा। मुहम्मद साहब ने मसीह के जीवन तथा मरण के संबंध में जो संदेह किया उसकी प्रेरणा इसी मत की ओर से हुई थी। उन पर भी प्रारंभ में मनी-मत का आरोप किया गया था। कुछ लोग उन्हें भी मनी का अनुयायी समझ रहे थे। यही नहीं, हल्लाज को इसी मत का प्रचारक कहकर दंड दिया गया और आगे चलकर मनी-भक्त जिंदीक के नाम से ख्यात हुए।
मसीही संघ को व्याकुल करने तथा अपने को मसीह एवं बुद्ध घोषित करनेवाला मनी' जन्मत: पारसी था। उसका जन्म संवत् २७२ में बगदाद में हुआ था। जिज्ञासा की प्रबल प्रेरणा से उसने भारत तथा चीन की यात्रा की। उस पर बौद्धमत का प्रकथ प्रभाव पड़ा। मसीही लेखक उसको टिरिविथस (त्रिविंशत) बुद्ध कहते हैं। पीरोज की मुद्राओं पर उसका नाम 'बुल्द'मय अंकित है। कहा गया है कि वास्तव में यह 'बुल्द' बुद्ध का रूपांतर है। मनी-मत में बुद्ध-मत की भांति ही स्त्री-पुरुष दोनों ही
(१) Origin of Manicheism p. 15 (२) Theism in Medieval India p. 91 (1) Origin of Manicheism p.16 (Muslim Review)
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