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शब्द-शक्ति का एक परिचय
४२५ (१) लक्षणलक्षणा ( १ ) पंजाब वीर है । (२) वह गाँव भूखों मर रहा है। ( ३) दोनों घरों में बड़ी लड़ाई है।
( ४ ) मापने उसका घर नीलाम कराके उसका बड़ा उपकार किया है। मैं भी प्रापके सौजन्य पर मुग्ध हूँ।
(५) आप परिश्रम इतना अधिक करते हैं कि प्रापका सफल होना असंभव दीखता है। __प्रथम तीन वाक्यो में पंजाब, गांव और घर-इन तीनों शब्दों ने अपना मुख्यार्थ बिलकुल छोड़ दिया है, उनसे केवल वहाँ 'रहने. वालो' का बोध होता है। अत: उनमें लक्षणलक्षणा स्पष्ट है। चौथे और पांचवें वाक्यों में लक्षणा के विचित्र उदाहरण हैं। यहाँ उपकार, सौजन्य, मुग्ध, अधिक आदि शब्दों से अपकार, दौर्जन्य प्रादि विपरीत अर्थो का बोध होता है। अपने अर्थ का त्याग होने से इनमें भी लक्षणलक्षणा मानी जाती है
(२) उपादान लक्षण ( १ ) हाथ-पैर बचाकर काम करो । (२) तुम्हारे सभी घोड़े तेज हैं पर वह काला बेजोड़ है। ( ३ ) साल पगड़ी पाई और वह घर में घुसा।
(४) कंवल दो बंदकेां के भय से इतने भाले-घर सब माग खड़े हुए।
(५) दही रखा है। कौए से बचाना। ___'हाथ-पैर' से शरीर का लक्ष्यार्थ निकलता है। शरीर में हाथपैर का भी उपादान हो जाता है। इसी प्रकार 'काला' का अर्थ काला घोड़ा। यहाँ 'काला' का स्वार्थ छूटता नहीं है। मागे के वाक्य में लाल पगड़ी से सिपाही का बोष होता है। यहां मी
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