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________________ ५०८ नागरीप्रचारिणी पत्रिका दृष्टि में विषय-वासना के विनाश के लिये समा एक अनुपम साधन है। उसके विचार में अंत:करण की प्रेरणा पर ध्यान रखना कुरान का विधान है। हज की अवहेलना कर सईद ने पीरों की समाधि को हज माना। वह इतना उदार था कि कुरान पढ़ते समय नरक के कष्टों को देखकर रो पड़ता था और परमेश्वर से उद्धार के लिये प्रार्थना करता था। खुदी से वह इतना भयभीत था कि सदा अपने लिये अन्य पुरुष का प्रयोग करता था। वह किसी पंथ का प्रवर्तक या किसी मत का प्राचार्य न था। उसका तसव्वुफ उसकी साधना का फल था, चिंता का प्रसव नहीं। वह प्राचीन सूफियों के मार्ग पर चलता और अंतरात्मा की पुकार पर भ्यान रखता था। वह एक भावुक प्रचारक था । उसको कुरान की व्याख्या में अधिक आनंद नहीं मिलता था। वह तो जनता को प्रेम-पाठ पढ़ाता और अल्लाह का भजन करता था। उसने सूफी मत को जनता में बखेर दिया और लोग उसके संचय में मग्न हुए। __सूफी मत ने कर तो सब कुछ लिया, पर उसे इसलाम की सनद न मिली। इसलाम के कट्टर उपासक उसको रोकने में तत्पर थे। परंतु यह वह रोग था जो दवा करने से और भी बढ़ रहा था। नरक के अभिशाप से उनका काम नहीं बन पाता था; सूफी भी अपने मत को कुरान प्रतिपादित अथवा मुहम्मद साहब की थाती कहते थे। मुल्लाओं का दंडबल हृदय के प्रवाह को रोकने में असमर्थ होता जा रहा था। प्रेम के प्रचारक उदात्त सूफियों के सामने किसी दरबारी काजी का जनता की दृष्टि में कुछ भी महत्त्व न था। जनता प्रेम चाहती थी, हृदय खोजती थी, फतवा से उसे संतोष नहीं था। प्रतिभा समाधान चाहती थी, भेद खोलती थी, नक्ल और बिला कैफ से उसे तृप्ति नहीं मिलती थी। संस्कृतियों Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034975
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1936
Total Pages134
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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