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________________ १० . शिवनारायण नागरीप्रचारिणी पत्रिका स्थापित की जो आज भी वर्तमान हैं। चरनदास की सहजोबाई और दयावाई नाम की दो शिष्याएं भी थीं जो स्वयं उसकी चचेरी बहनें थीं। उन्होंने भी अच्छी कविता की है। सहजोबाई ने सहजप्रकाश लिखा और दयाबाई ने दयाबोध ।। शिवनारायण गाजीपुर जिले में चंदबन गाँव के रहनेवाले क्षत्रिय थे। वे बादशाह मुहम्मदशाह (सं० १७६२ में वर्तमान) के सम. _ कालीन थे। सैनिकों के ऊपर उनका बड़ा प्रभाव था। उनके अनुयायी प्राय: सभी राजपूत सैनिक थे। उनके मत में जाति-पाँति का कोई भेद नहीं माना जाता था। अब तो यह संप्रदाय प्रायः समाप्त हो चुका है और शिवनारायण के उत्तराधिकारियों को छोड़कर कुछ थोड़े से नीच जाति के लोग ही उसके माननेवालों में रह गए हैं। शिवनारायण की समाधि बिलसंडा में है। उनके ग्रंथों में लवयंय, संतविलास, भजननय, शांतसुंदर, गुरुन्यास, संतप्रचारी, संतउपदेश, शब्दावली, संतपर्वन, संतमहिमा, संतसागर के नामों का उल्लेख होता है। उनका एक और मुख्य ग्रंथ है जो गुप्त माना जाता है। सिखों की भांति शिवनारायणो भी पुस्तक की पूजा करते हैं। नवीन सदस्यों को संप्रदाय में दीक्षित करने के लिये एक छोटा सा उत्सव होता है जिसमें लोग मूल-ग्रंथ के चारों ओर पूर्ण रूप से मौन होकर वृत्ताकार बैठ जाते हैं। और पुस्तक में का कोई एक भजन गाकर पान, मेवा, मिठाई वितरण के बाद उत्सव समाप्त कर दिया जाता है। गरीबदास कबीर के सबसे बड़े भक्त हो गए हैं। ये जाति के ___ जाट और पंजाब के रोहतक जिले के छुड़ानी १७. गरीबदास गांव के रहनेवाले थे। इन्होंने हिरंबरबोर नामक एक बृहत् ग्रंथ की रचना की जिसमें सत्रह हजार पद्य बतलाए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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