SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८८ नागरीप्रचारिणी पत्रिका था जिनके साथ दस वर्ष की अवस्था में ही ये पंजाब आ गए। इनके गुरु का नाम शाह इनायत बतलाया जाता है। ये परंपरागत धर्म को नहीं मानते थे। कुरान और शर का इन्होंने खुल्लमखुल्ला खंडन किया। इसी से मुल्लाओं और मौलवियों से इनकी कभी नहीं पटी। इन्होंने सीधी-सादी पंजाबी में कविता की है। अपने क्रांतिकारी भावों को इन्होंने अपनी रचनाओं में बड़े धड़ाके से पेश किया है। कबीर के भावों को इन्होंने बहुत अपनाया है। ये जन्म भर ब्रह्मचारी रहे। इनका प्राश्रम जिला लाहौर के कसूर गाँव में था। वहीं लगभग पचास वर्ष की अवस्था में, सं० १८१० में, इनका देहांत हुआ। इनकी गद्दी और समाधि भी वहाँ है । चरनदास धूसर बनिया थे । इनका जन्म अलवर (राजपूताना ) के डेहरा नामक स्थान में सं० १७६० के लगभग हुआ था। कहते हैं कि डेहरा में, जहाँ १५. चरनदास " इनकी नाल गाड़ी गई थी वहाँ पर, एक छतरी बनी हुई है। यहाँ इनकी टोपी और सुमिरनी भी सुरक्षित बतलाई जाती हैं। इनके पिता का नाम मुरलीधर और माता का कुंजो था। इनका घर का नाम रनजीत था। सात ही वर्ष की अवस्था में ये घर से भाग निकले थे और अपने नाना के यहाँ दिल्ली चले आए। वहीं इनका लालन-पालन हुआ। कहते हैं कि वहीं इनको उन्नीस वर्ष की अवस्था में पारमात्मिक ज्योति का दर्शन हुआ। इन्होंने अपने गुरु का नाम श्रीशुकदेव बताया है। कहते हैं कि ये शुकदेव मुनि मुजफ्फरनगर के पास शुक्रताल गाँव के निवासी एक S (1) बानी (संतबानी सीरीज़), भूमिका, पंडित महेशदत्त शुक्ल ने अपने 'भाषा काव्यसंग्रह' ( नवलकिशोर प्रेस, सं० १९३०) में इन्हें पंडितपुर जिला फैजाबाद का निवासी बताया है। निधन संवत् ११३७ लिखा है।राधाकृष्णग्रंथावली, भाग १, पृ. १०० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy