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हिंदी काव्य में निर्गुण संप्रदाय
कि एक बार ये अचानक और अकारण अपने पाँव पर पानी डालने लगे । बहुत पूछने पर इन्होंने बतलाया कि जगन्नाथजी के पंडे का पाँव जल गया है उसी को पानी डालकर बुझा रहा हूँ । जाँच करने पर बात सही मालूम हुई ।
१३. दरिया-द्वय
संवत् १७२७ और १८३७ के बीच दरिया नाम के दो संत हो गए हैं। दोनों मुसलमान कुल में पैदा हुए थे। इनमें एक का जन्म बिहार में, आरा जिले के धारखंड नामक गाँव में हुआ और दूसरे का मारवाड़ के जैतराम नामक गाँव में | बिहारी दरिया दरजी था और मारवाड़ी धुनिया | बिहारी दरिया के पंथ में प्रार्थना का जो ढंग प्रचलित है वह मुसलमानी नमाज से बिलकुल मिलता-जुलता है । 'कोर्निश' और 'सिज्दः ' ये उसके दो भाग हैं। सीधे खड़े होकर नीचे झुकना और माथे को जमीन से लगाना सिज्द: कहलाता है । यह दरिया कबीर के अवतार माने जाते हैं । कहते हैं कि इन्हें स्वयं परमात्मा ने दीक्षा दो थी । इनका लिखा दरियासागर छप चुका है ।
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मारवाड़ी दरिया सात ही वर्ष की अवस्था में पितृविहीन हो गए थे। रैना, मेड़ता में इनके नाना ने इनका पालन-पोषण किया । इनके गुरु बीकानेर के कोई प्रेमजी थे। कहा जाता है कि अपनी चमत्कारिणी शक्ति से इन्होंने एक दूत भेजकर ही महाराज बख्त सिंह को एक बड़े भयंकर रोग से मुक्त कर दिया । इनकी भी बानी प्रकाश में आ चुकी है ।
बुल्लेशाह एक सूफी संत थे । कहा जाता है कि इनका जन्म सं० १७६० के लगभग रूम देश में हुआ था । जान पड़ता है कि पारिवारिक विपत्ति ने इन्हें बहुत छोटी अवस्था में रमते फकीरों की संगति में डाल दिया
१४. बुल्लेशाह
( १ ) सतबानी - संग्रह, भाग १, पृ० १५१ ।
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