SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नागरीप्रचारिणी पत्रिका गुरु गोबिंद के बाग में, पलटू फूले फूल ॥ सहर जलालपुर मूंद मुंड़ाया, अवध तुड़ाकर धनियाँ । सहन करें व्यापार घट में, पलटू निरगुन बनियाँ ॥ भजनावली इनके भाई पलटूप्रसाद की बनाई कही जाती है; लेकिन पलटूप्रसाद खुद इन्हीं का नाम भी हो सकता है। इनका अखाड़ा अयोध्या से चार-पाँच मील की दूरी पर है। मूर्तिपूजा और जाति-पांति के तीव्र खंडन से अयोध्या के बैरागी इनसे बहुत चिढ़ गए थे। इसी लिये उन्होंने इन्हें जाति से बाहर कर दिया था। किंतु पलटू ने इसकी कोई परवा न की बैरागी सब बटुरके पलटुहि कियो अजात । ... लोक-लाज कुल छोड़ि के, कर लीजे अपना काम । जगत हँसै तो हँसन दे, पलटू हँसै न राम ॥ इन्होंने रामकुंडलिया और प्रात्मकर्म ये दो ग्रंथ लिखे हैं । इनकी सब ग्चनाएँ तीन भागों में बेल्वेडियर प्रेस से छप चुकी हैं। इनके अरिल्ल और कुंडलिया बहुत सुंदर बने हैं। ये अवध के नवाब शुजाउद्दौला के समकालीन थे और सं० १८२७ के पास पास वर्तमान थे। धरनीदास बिहार के रहनेवाले एक कायस्थ मुंशी थे। संसार से इनका जी इतना उचटा हुआ था कि परमात्मा के साक्षात्कार में बाधक समझकर इन्होंने मुंशीगिरी छोड़ दी १२. धरनीदास और ये भगवान के प्रेम में तन्मय होकर नि:स्वार्थ जीवन व्यतीत करने लगे। यह तन्मयता इनके ग्रंथ प्रेमप्रकाश और सत्यप्रकाश से स्पष्ट परिलक्षित होती है। देश के विभिन्न भागों में और खासकर बिहार में अभी सहस्रों धरनीदासी हैं। इनके संप्रदाय का प्रधान स्थान छपरे जिले का माझी गांव है । सं० १७१३ में इनका जन्म हुआ था! ये बड़े करामाती प्रसिद्ध हैं। कहते हैं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy