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________________ ५०६ नागरीप्रचारिणी पत्रिका सुरक्षित है' । इसी काल की गंगा तथा यमुना की प्रस्तर मूर्तियाँ वंगीय साहित्य परिषद् के म्यूजियम में सुरक्षित हैं। गंगा की मूर्ति ( नं०k (b) 141 ) मुर्शिदाबाद तथा यमुना की ( नं० k (c) 1) बिहार से प्राप्त हुई है। गंगा का दूसरा नाम भागीरथी भी है; क्योंकि पौराणिक वर्णन के अनुसार भगीरथ गंगा को मृत्युलोक में ले आए थे । इस वर्णन के आधार पर भी दक्षिण भारत में गंगा की मूर्ति का निर्माण होता था । एलेफेंटा में गंगाधर शिव की एक मूर्ति मिलती है जिसमें गंगा शिव की जटा में प्रवेश करती हुई दिखाई गई है २ । इस प्रकार कतिपय ग्रंथों में गंगाधर शिव की मूर्ति का निम्न लिखित प्रकार से वर्णन मिलता है गङ्गाधरमहं वक्ष्ये सर्व लेाकसुखावहम् । सुस्थितं दक्षिणं पादं वामपाद तु कुञ्चितम् ॥ विश्लिष्य स्याज्जटाबंधं वामे स्वीषनताननम् । दक्षिण पूर्वहस्ते तु वरद ं दक्षिणेन तु ॥ देवीमुपाश्रितेनैव देवीमालिङ्गय कारयेत् । दक्षिणा परहस्तेने । द्धृत्य | Sीषसीमकम् ॥ स्पृशेज्जटागतां गङ्गां वामेन मृगमुद्धरेत् । देवस्य वामपार्श्वे तु देवी विरहितानना ॥ सुस्थितं वामपादं तु कुञ्चितं दक्षिणं भवेत् । प्रसार्य दक्षिणं हस्तं वामहस्तं तु पुष्पष्टक् ॥ सर्वाभरणसंयुक्त सर्वालङ्कारसंयुक्तम् । भगीरथं दक्षिणे तु पार्श्वे मुनिवरान्वितम् ॥ - शिल्परत्न, पटल १२ । ( १ ) मूर्ति न'. H(c) ' ( वारेंद्र सोसाइटी संग्रहालय ) । (२) गोपीनाथ राव — एलेमेंटस धाफ हि ंदू ग्राहकानाग्राफी, जि० २, भा० १, प्लेट ४० । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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