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________________ विविध विषय ४३५ श्रीएकनाथ-चरित्र-लेखक-पं० लक्ष्मण रामचंद्र पांगारकर, बो० ए०; अनुवादक-श्री लक्ष्मण नारायण गर्दै । श्री एकनाथ विक्रम की १६वों शताब्दि के प्रसिद्ध महाराष्ट्र संत और कवि हैं। आज भी उनकी पुण्यस्मृति में सर्वत्र 'एकनाथ-षष्ठी' मनाई जाती है। उन्हीं लोक-प्रिय संत का यह चरित्र है। 'चरित्रकार को सांप्रदायिक अर्थात् भावुक, काव्य-मर्मज्ञ अर्थात् रसिक और इतिहासज्ञ अर्थात् चिकित्सक होना चाहिए' ( भूमिका, पृ० ५)। पांगारकरजी ऐसे ही आदर्श चरित्रकार हैं। वे स्वयं 'हरि-भक्ति-परायण' हैं। उनकी लेखनी में भावुकता भी पर्याप्त मात्रा में विद्यमान है। संत के सुकुमार चरित्र को उन्होंने निर्दय होकर नहीं परखा है। इसी से यह पुस्तक भक्तों के भी बड़े प्यार की वस्तु हो गई है। भाषा और शैली साहित्यिक है। अत्यंत संतोष का विषय है कि भावुकता और सरसता के प्रवाह में स्थल-काल का पूर्वापर संबंध कहीं भी बहकने नहीं पाया है। अनुवाद की भाषा भी खूब चलती और सरल है। इतना कह देना पर्याप्त होगा कि अनुवाद अनुवाद सा नहीं जंचता। __'एकनाथ-चरित्र' संग्रहणीय वस्तु है। हिंदी में ऐसे ग्रंथों का अभी बड़ा अभाव है। २३५ पृष्ठों की इस सुंदर पुस्तक को केवल ।) में जनता के हाथ समर्पण करने के लिये गोरखपुर का गीता प्रेस हम सबके धन्यवाद का पात्र है। नारायण माधव समे योगेश्वर कृष्ण-लेखक-प्रो० चमूपति, एम० ए०; प्रकाशक-गुरुकुल, कांगड़ी; मूल्य-२); पृष्ठ-संख्या लगभग चार सौ। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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