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नागरीप्रचारिणो पत्रिका Bain ) । इस कार्य में अनुभवी लोगों से भी भूलों का हो जाना संभव है। प्राशा है, भविष्य में पुस्तकालय के कार्यकर्त्तागण इस कार्य को अधिक सावधानी से संपन्न करेंगे।
अखौरी गंगाप्रसाद सिंह
मानसोपचार शास्त्र एवं पद्धति-योग द्वारा रोगोपचार की बात हमारे यहाँ बहुत प्राचीन काल से सुनी जाती है, और अब भी यत्र-तत्र उसके विश्वसनीय प्रमाण मिलते हैं। मानसोपचार के अन्य अनेक रूप भी इस देश में प्रचलित हैं। परंतु आधुनिक वैज्ञानिक रीति से उसका विस्तृत विवेचन हिंदी के लिये अवश्य ही नया है।
प्रस्तुत ग्रंथ 'मानसोपचार शास्त्र एवं पद्धति' के लेखक डा० गोपाल भास्कर गनपुले का उत्साह प्रशंसनीय है। उन्होंने अपने विषय के प्रतिपादन में बड़े परिश्रम से काम लिया है और उसे सर्वसाधारण के लिये सुगम बनाने का यथाशक्ति प्रयत्न किया है। परंतु सैद्धांतिक कठिनाइयाँ न रहने पर भी उसकी क्रियात्मक सत्यता के समर्थन का अधिकार अभ्यस्त और विशेषज्ञ जनों को ही है। इसमें संशय नहीं कि इस शास्त्र का उद्देश्य महान है और इसकी क्रियास्मक सफलता से मानव-जाति का बड़ा कल्याण हो सकता है। __ यद्यपि इसे असावधानी नहीं कहा जा सकता, किंतु यदि कहीं कहीं अँगरेजी के पारिभाषिक शब्दों के अनुवाद तथा भाषा के परिमार्जन पर थोड़ा और ध्यान दिया जाता तो अधिक अच्छा होता। आशा है, जनता ग्रंथ को अच्छे सुधरे और निखरे हुए रूप में पाएगी और उससे लाभ उठाकर ग्रंथकार का परिश्रम सफल करेगी।
पुरुषोत्तमलाल श्रीवास्तव
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