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नागरीप्रचारिणी पत्रिका हिमालय-प्रदेश की 'चंबा लाहुली' के 'जुड़' शब्द से भी जोड़ा' की उत्पत्ति संभव है। इन्हीं बोलियों के संपर्क से हिंदी में 'जोड़ा' शब्द पा गया होगा।
'गंडा' के संबंध में विद्वानों का अनुमान
है कि यह संस्कृत के 'गंडक' शब्द (१) से आ गया होगा।
'गाही' शब्द का संबंध ज्योतिष के 'ग्रह' से माना गया है। आजकल तो नौ ग्रह माने जाते हैं, पर संभव है किसी समय में
पांच ही ग्रह माने जाते रहे हैं।। संस्कृत में गाही
देवताओं आदि के नाम से संख्याओं की व्यंजना करने की प्रथा अब तक भी वर्तमान है। अश्विनीकुमार से 'दो' का, आदित्य से 'बारह' का, रुद्र से 'ग्यारह' का तथा वसु से 'पाठ' का बोध होता है। पर इस प्रकार के शब्द संख्यावाचक शब्दों के अंतर्गत नहीं माने जा सकते, क्योंकि यह तो संख्याओं को व्यंजित करने का एक प्रालंकारिक ढंग है। हिंदी-काव्य में भी कहीं कहीं इस प्रकार के शब्दों के द्वारा संख्याएँ सूचित की गई हैं। 'गाही' के संबंध में एक अनुमान यह भी है कि यह 'दारया' बोली में पाँच के अर्थ में बोले जानेवाले 'ग्वाइ' शब्द के प्रभाव से आया होगा। 'ग्वाइ' का 'गाहि' या 'गाही' रूप बन जाना कठिन नहीं है।
'कोड़ो' शब्द का संबंध 'कौड़ी' ( = स. कपर्दक ) से जान पड़ता है। संभवत: पहले कभी बीस कौड़ियों का समूह किसी
विशेष सिक्के के समान माना जाता रहा हो कोड़ी
और फिर 'कौड़ी' या 'कोड़ो' शब्द से ही 'बोस' का बोध होने लगा हो। पर मेरा अनुमान तो यह है कि 'कोड़ी' शब्द अनार्य भाषाओं के संसर्ग से हिंदी में आया है। द्रविड़
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