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________________ सत्ता अट्ठा ४२२ नागरीप्रचारिणी पत्रिका सं० षट्ककम् > प्रा० छकअं > ख० छक्का बो० छक्का। सं० सप्तकम् > प्रा० सत्तयं > ख० बो० सत्ता। सं० अष्टकम् > प्रा० अभं > ख० बो० अट्ठा । 'पंचा' के समान 'प्रहार से भी 'क' का लोप हो गया है। कुछ शब्दों में स्वार्थक ( जो उसी अर्थ का वाचक रहता है) 'डा' प्रत्यय भी लगा हुआ पाया जाता है; जैसे-सं० 'चतुष्ककम्' > ___ अप० 'चउक्कडउ' >ख० बो० 'चौकड़ा' (पुंल्लिंग), 'डा' प्रत्यय ' 'चौकड़ी' (= चार का समुदाय ) शब्द वर्तमान है। सं० 'शतकम्' > अप० 'सयक्कडर' > ख० बो. 'सैकड़ा' (= सौ का समुदाय)। ताश का एक खेल जिसे छः प्रादमी खेलते हैं 'छकड़ी' कहलाता है। उसमें भी इसी 'डा' का स्त्रीलिंग रूप 'डो' वर्तमान है। 'डा' ही के समान कहीं कहीं 'ला' भी दिया जाता है; जैसे'ला' प्रत्यय . ताश के पत्तों का 'नहला' (प्रर्थात् नौ अंकों ___ का समूह ) और 'दहला' (अर्थात् इस अंकों का समूह)। उपयुक्त ढंगों से बनाए हुए शब्दों के अतिरिक्त कुछ और भी बने-बनाए शब्द पाए जाते हैं जिनसे संख्याओं के समुदाय का बोध होता है। वे शब्द ये हैं जोड़ा, जोड़ी (=दो का समुदाय ) गंडा (=चार का समुदाय ) गाही, पचकरी(=पाँच का समुदाय ) कोड़ी (बीस का समुदाय ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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