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खड़ी बोली के संख्यावाचक शब्दों की उत्पत्ति ४१७ 'प्रमावस्या' से तथा 'पूना' की संस्कृत के 'पूर्णिमा' या 'पूर्णमासी' से हुई है। नीचे दिए हुए, खड़ी बोली तथा संस्कृत के, तिथिबोधक शब्दों से स्पष्ट हो जायगा कि खड़ी बोली के शब्दों की उत्पत्ति संस्कृत के किन शब्दों से हुई है। आजकल खड़ी बोली में मारवाड़ो के तिथिबोधक शब्दों का प्रयोग बहुत अधिक होने लगा है, इसलिये मारवाड़ी के भी सदों को साथ साथ लिख देना अनावश्यक न होगा।
खड़ी बोली परीवा
दूज
तीज
चौथ पंचमी छठ, छ? सत्तमी अष्टमी
मारवाड़ी एकम दूज, वीज तीज चौथ पाँचम छठ सातम अाठम
संस्कृत प्रतिपदा, प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी पञ्चमी षष्ठी सप्तमी प्रष्टमी नवमी दशमी एकादशी द्वादशी त्रयोदशी चतुर्दशी अमावस्या पूर्णमासी पूर्णिमा
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नामों
नवम
दसमी एकादसी द्वादसी तेरस चौदस अमावस, मावस पूर्णमासी, पूनो पून्या
दस्सम ग्यारस बारस तेरस चौदस अमावस पूनम, पून्यूँ
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