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खड़ो बोली के संख्यावाचक शब्दों की उत्पत्ति ४०७ इस प्रकार मान लेने से खड़ी बोली का 'अरब' संस्कृत के 'प्रबुंद' के बराबर हो जायगा। पर हिंदी में 'अरव' सौ करोड़ के बराबर माना जाता है। जान पड़ता है, केलाग महाशय लिखते समय भूल कर गए हैं। ___ यदि खड़ी बोली के 'अरब', 'खरब', 'पद्म' और 'शंख' को उनके मूल संस्कृत के रूपों ( अर्थात् क्रमशः 'अर्बुद, खर्व', 'महापद्म'
और 'शंकु' ) के ही बराबर मानें तो हिंदी में करोड़ के बाद संख्यावाचक शब्दों का क्रम निम्नलिखित ढंग पर रखना होगा
करोड़ ( = सं० कोटि) अरब, प्रर्ब ( = सं० अर्बुद) =१० करोड़ दस अरब (=सं० अब्ज) खरब (=सं० खर्व) = १०० अरब पद्म, पदुम ( = महापद्म) = १० खरब शंख (= शंकु)= १० पद्म
अर्थात् 'दस करोड़' के लिये 'अरब', 'दस अरब' के लिये 'खरब', 'खरब के लिये 'पद्म' तथा 'दस पद्म के लिये 'शंख' का प्रयोग करना पड़ेगा जो हिंदी में प्रचलित संख्यावाचकों के क्रम के अनुसार न होगा। हिंदी में तो
अरब =१०० करोड़, खरब =१०० अरब, पद्म =१०० नील, तथा शंख =१०० पद्म ।
यदि संस्कृतवाला क्रम हिंदी में लाया जाय तो हिंदी के गणितशास्त्र तथा हिंदो-भाषा-भाषी जनता की संख्या-संबंधिनी धारणा में बड़ा उलट-फेर करने की प्रावश्यकता होगी। फिर, यह भी प्रावश्यक नहीं है कि संस्कृत से आए हुए शब्द हिंदी में भी
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