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४०६ खर्व.....
नागरीप्रचारिणी पत्रिका दस अरब
=
महापद्म शंकु जलधि अंत्य
= = =
मध्य
खरब ( = १०० अरब) दस खरब नील ( = १०० खरब) दस नील. पद्म, पदुम ( = १०० नील ) दस पद्म शंख ( = १०० पद्म) दस शंख महाशंख ( = १०० शंख)
परार्ध =
ऊपर लिखें हुए शब्द क्रमश: अपने से पहलेवाले शब्द की दस गुनी संख्या का बोध कराते हैं। संस्कृत और खड़ी बोली के शब्दों की तुलना करने से विदित होता है कि जिस संख्या को खड़ी बोली में 'दस करोड़' कहेंगे वह संस्कृत में 'अबुंद' कही जाती है। संस्कृत के 'अर्बुद' से निकला हुआ खड़ी बोली का 'अर्ब' या 'अरब', अर्बुद से दस गुनी अधिक संख्या अर्थात् 'अब्ज' का बोध कराता है। इसी प्रकार संस्कृत के 'खर्व' से निकले हुए खड़ी बोली के 'खरब' से संस्कृत के 'महापद्म' का, तथा संस्कृत के महापद्म से निकले हुए खड़ी बोली के 'पद्म' से संस्कृत के 'मध्य' का बोध होता है। संस्कृत के 'शंकु' से निकला हुआ खड़ी बोली का 'शंख' तो संस्कृत के संख्यावाचक शब्दों की सीमा को ही लाँघ गया है। मिस्टर केलाग ने अपने Grammar of the Hindi Language में हिंदी के संख्यावाचकों की सूची देते हुए 'परब'को 'दस करोड़ के बराबर माना है।
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