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खड़ो बोलो के संख्यावाचक शब्दों की उत्पत्ति ४०५ खड़ी बोली का 'लाख' प्राकृत के 'लक्ख' < सं० लक्ष, लक्षा से पाया है।
ख० बो० करोड़, कड़ोड़ < प्रा० कोडि < सं० कोटि । ख० बो० अर्ब, अरब < सं० अर्बुद । ख० बो० खर्ब, खरब < सं० खर्व ।
खड़ी बोली के 'नील' से मिलता-जुलता संस्कृत में कोई शब्द नहीं है। निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता कि यह शब्द कहाँ से पाया है। संभवत: यह शब्द किसी अन्य भाषा से आया होगा।
ख० बो० पद्म < सं० महापद्म । ख० बो० शंख < सं० शंकु । अरब, खरब, पद्म और शंख के संबंध में एक विशेष बात ध्यान
देने की है कि ये शब्द जिन संख्याओं का कुछ शब्दों की ।
"बोध कराने के लिये प्रयुक्त होते हैं उन संस्कृत के शब्दों से अर्थ.
संख्याओं के लिये इन शब्दों के मूल संस्कृतभिन्नता
शब्द नहीं प्रयुक्त होते। नीचे दिए हुए विवरण से इस कथन का स्पष्टीकरण हो जायगा। संस्कृत के शब्द खड़ी बोली के शब्द
शत = सौ सहस्र = हजार ( = १० सौ ) अयुत
दस हजार लक्ष, लता = लाख ( = १०० हजार ) प्रयुत
दस लाख कोटि = करोड़ ( = १०० लाख ) अर्बुद = दस करोड़
अब्ज
=
अरब ( = १०० करोड़)
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