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ख० का
नागरीप्रचारिणी पत्रिका सं० एकोनषष्टि, ऊनषष्टि > प्रा० एगूणसट्ट, अउपट्टि > अप० उगुणसट्ठ > ख० बो० उनसठ। साठ-अस्सी
सं० षष्टि > प्रा० सट्ठी > अप० सट्ठि >
ख० बो० साठ। सं० एकषष्टि > प्रा० एक्कसट्ठि > अप० एकसट्ठि > ख० बो० एकसठ। ____ सं० द्विषष्टि, द्वाषष्टि > प्रा० बासट्ठि > अप० बासट्ठि > ख० बो० बासठ। ___ सं० त्रयःषष्टि, त्रिषष्टि > प्रा० तेसट्ठि > अप० त्रेसट्टि, त्रेसठि > ख० बो० तिरसठ। ___ सं० चतुष्षष्टि > प्रा० चोसहि > अप० चासठि, चौसट्ठि, चौसठि > ख. बो० चौसठ ।
सं० पञ्चषष्टि > प्रा० पंचसट्ठि, अर्धमा० प्रा० पण्णढि, पणसद्धि > अप० पणसद्वि, पांसठि > ख० बो० पैंसठ।
सं० षट्षष्टि > प्रा० छासट्ठि > अप० छासट्ठि > ख० बो० छियासठ। 'चौसठ', 'पैंसठ' प्रादि के अनुकरण पर ही खड़ी बोली में 'छियासठ' बन गया है। पूर्वी हिंदी में 'छाँछठि', मराठी में 'सासष्ट', सिंधी में 'छाहठि', पंजाबी में 'छियाहद' तथा बंगला में 'छासठि' रूप होते हैं।
सं० सप्तषष्टि > प्रा० सत्तसट्ठी, सत्तसट्ठि > प्रप० सत्चसट्ठि > ख० बो० सड़सठ। पूर्वी हिंदी में 'सरसठि', 'सड़सठि' तथा 'सवसठि'; मराठी में 'सतसष्ट', 'सदसष्ट', उड़िया में 'सतसठि'; बँगला में 'सातसठि'; राजस्थानी में 'सड़सट' तथा पंजाबी में 'सवाहट्' रूप होते हैं।
सं० अष्टाष्टि, अष्टषष्टि > प्रा० अठ्ठसट्ठो, अटुसट्ठो, अढट्ठि > अप० अट्ठसट्ठि > ख० बो० अड़सठ ।
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