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________________ ३६ नागरीप्रचारिणी पत्रिका पाया। पूछने पर मालूम हुआ कि उसके पति को डाकुओं ने मार ST है । उसे अपने कृत्य पर उत्कट घृणा हो आई और वह घोर पश्चात्ताप करने लगा । विशोवा खेचर को गुरु बनाकर वह भक्तिपथ में अग्रसर हुआ और विठोवा की भक्ति में अपने जीवन को उत्सर्ग करके एक उच्च कोटि का संत हो गया । अपने जीवन का अधिक समय उसने पंढरपुर में विठोवा (विष्णु) के मंदिर में ही बिताया । परंतु अंत में वह तीर्थाटन के लिये निकला और समस्त उत्तर का भ्रमण करते हुए पंजाब पहुँचा । वहाँ लोग बड़ी संख्या में उसके चेले हुए । गुरदासपुर जिले में गुमान नामक स्थान पर अब तक नामदेव का मंदिर है । इस मंदिर के लेखों से पता चलता है कि नामदेव का निधन यहीं हुआ था। मालूम होता है कि उनके भक्त उनके फूल पंढरपुर ले गए जहाँ वे विठोवा के मंदिर के आगे गाड़ दिए गए | नामदेव की कुछ हिंदी कविताएँ आदि ग्रंथ में संगृहीत हैं, जिनमें उनके कई चमत्कारों का उल्लेख है, जैसे उनके हठ करने पर मूर्ति का दूध पीना, मरी हुई गाय का उनके स्पर्श से जीवित हो उठना, परमात्मा का स्वयं आकर उनकी चूती छत की मरम्मत कर जाना और नीच जाति का होने के कारण मंदिर से उनके बाहर निकाले जाने पर मूर्ति का पंडित की ओर पीठ कर उसी दिशा में मुड़ जाना जिधर वे मंदिर के बाहर बैठे थे । अंतिम चमत्कार का उल्लेख कबीर ने भी किया है । ( १ ) दूध कटारे... — 'ग्रंथ', पृ० ६२१. (२) सुलतान पूछे सुन बे नामा... - 'ग्रंथ' । (३) घर... - ' ग्रंथ', पृ० ६२१ । ( ४ ) हँसत खेलत... - 'ग्रंथ', पृ० ६२३ । ( ५ ) पंडित दिसि पछिवारा कीना, मुख कीना जित नामा | क० नं०, पृ० १२७. १२२ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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