SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 406
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खड़ी बोली के संख्यावाचक शब्दों की उत्पत्ति ३६१ सं० चतुर्विशति > प्रा० चौवीसा, अर्धमागधी प्रा० चउवीस > अप० चौवीस > ख० बो० चौबीस। राजस्थानी में बाइस और तेइस के समान 'व'-रहित 'चौईस' शब्द मिलता है। सं० पञ्चविंशति > प्रा० पंचवीसं, पंचवीसा, पणवीसा> अप० पाणवीस, पणवीस । खड़ी बोली में प्राकृत के 'पंचवीसं' से मिलताजुलता ‘पच्चीस' रूप होता है। ___ सं० षडविंशति > प्रा० छब्बीसा, अर्ध-मागधी प्रा० छवोस > अप० छब्बीस > ख० बो० छब्बोस। राजस्थानी में 'व'-रहित 'खाइस' ही रूप मिलता है। सं० सप्तविंशति > अर्धमा० प्राकृत सत्तावीसा, सत्तवीस >प्रा० सत्तावीसा > अप० सत्तावीस > ख० बो० सत्ताइस । ___ सं० अष्टाविंशति > अर्धमा० प्राकृत डावीस, प्रा० अट्ठावीसा> अप० अट्ठावीस, अटवीस; ख० बो० अट्ठाइस । सं० ऊनत्रिशत्, एकोनत्रिंशत > अधमा० प्रा० अउणचीस, प्रा० अउणत्तीसा> अप० उणत्तास > ख० बो० उतीस। राजस्थानी में संस्कृत के 'एकोनत्रिंशत्' से बना हुआ 'गुणातीस' रूप वर्तमान है। सं० त्रिंशत् > अर्धमा० प्रा० तीसा, प्रा० तीसा > अप० तीस > ख० बो० तीस। सं० एकत्रिंशत् > अर्धमा० प्रा० इकत्तीस, प्रा० इकतीसा> अप० एकत्रिस >ख० बो० एकतीस । पूर्वी हिंदी तथा मैथिली में 'एकतिस' रूप मिलता है। ___सं० द्वात्रिंशत् > अर्धमा० प्रा० बत्तीस, प्रा० बत्तोसा > अप० बात्रिस > ख० बो० बत्तोस । सं० त्रयस्त्रिंशत् > अर्धमा० प्रा० तेत्तीस, प्रा० तेत्तीसा>अप० तेत्रिस > ग्व० बो० तेतीस। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy