________________
३८६
नागरीप्रचारिणी पत्रिका सं० दश > प्रा० दह, दस > अप० दस > ख० बो० दस।
संसार की अधिकांश भाषाओं में संख्याओं को व्यक्त करनेवाले अंक शून्य से लेकर नौ तक ही पाए जाते हैं; शेष और सब संख्याएँ इन्हीं अंकों की सहायता से लिखी जाती हैं, जैसे १६, ८७५ इत्यादि। पर संख्याओं का बोध कराने के लिये जो शब्द बोले जाते हैं उनके मूल रूप शून्य से लेकर नौ तक के शब्दों के अतिरिक्त कुछ और भी पाए जाते हैं। खड़ी बोली के संख्यावाचक शब्द, खड़ी बोली के कुछ मूल-संख्यावाचक शब्दों के योग से नहीं बने हैं; वरन्, जैसा कि कुछ कुछ हम देख चुके हैं, संस्कृत के संख्यावाचक शब्दों के प्राकृत और अपभ्रश से होकर आए हुए रूप हैं। इसलिये हमें संस्कृत के ही संख्यावाचक शब्दों में देखना चाहिए कि वे मूल शब्द कौन से हैं, जिनके आधार पर और सब शब्द बने हैं। संस्कृत के पूर्णांक संख्यावाचक शब्दों की सूची पर दृष्टि डालने से विदित हो जायगा कि संस्कृत के मूल पूर्णांकबोधक संख्यावाचक शब्द केवल निम्नलिखित ही हैंएक
त्रिंशत् द्वि, द्व
चत्वारिंशत् त्रि
पञ्चाशत् चतुर्
षष्टि पञ्चन्
सप्तति
अशीति सप्तन्
नवति अष्टन
शत नवन्
सहस्त्र दशन् विंशति
लक्ष, लक्षा
ब
प्रयुत
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com