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(१३) खड़ी बोली के संख्यावाचक शब्दों की उत्पत्ति
[ लेखक-श्री शिवसहाय त्रिवेदी, एम. ए, काशो ] आदिम काल में मनुष्य की आवश्यकताएँ ज्यों ज्यों बढ़ने लगी होगी त्यों त्यो उसकी भाषा में नए नए शब्दों का समावेश होता
संख्यावाचक शब्दो गया होगा। नाम, धातु, सर्वनाम तथा की प्राचीनता विशेषणों आदि के समान भाषा में धीरे धीरे संख्यावाचक शब्द भी बन गए होंगे। उस समय अाजकल के प्रच.
नोट-इस लेख के स्पष्टीकरण के लिये निन्न-लिखित सांकेतिक चिह्नों का जान लेना आवश्यक है।
> इस चिह्न का अर्थ है 'leading to' अर्थात् 'व्युत्पन्न करता है'। जिस शब्द के पश्चात् यह चिह्न हो उस शब्द को उसके बादवाले शब्द की उत्पत्ति का कारण समझना चाहिए।
< इस चिह्न का अर्थ है 'derived from' अर्थात् 'व्युत्पन्न हुआ है। जिस शब्द के पश्चात् यह चिह्न लगाया जाता है उस शब्द को उसके भागे के शब्द से व्युत्पन्न समझना चाहिए। ___ + जिन दो शब्दों या अक्षरों के मध्य में यह चिह्न होता है उन्हें यह मिलाता है अर्थात् उन दोनों के योग से एक दूसरा शब्द या अक्षर बन जाता है। ___ = इस चिह्न का प्रयोग दो अर्थो में होता है-(१) समानार्थ सूचित करने के लिये; जैसे अश्व = घोड़ा। (२) अनेक शब्दों या वर्णो के योग से एक नवीन शब्द या अक्षर के बन जाने के अर्थ में; जैसे, दश+ अश्वमेध = दशाश्वमेध । श+ ई =शी।।
• जिस शब्द के पूर्व यह चिह्न हो वहाँ समझना चाहिए कि उस शब्द के पहले किसी अन्य शब्द या वर्ण का योग होता है तथा जिस शब्द के पश्चात् यह चिह्न हो वहीं समझना चाहिए कि उस शब्द के पश्चात् किसी वर्ण या शब्द का योग किया जाता है।
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