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________________ विविध विषय ३६५ कर 'जोरों ( ? ) से भागे और बाहर आकर एक पेड़ के ऊपर कूदकर जा चढ़े' (पृष्ठ २३ ) । इतना ही नहीं, वे पेड़ के 'ऊपर से एक घोड़े की पीठ पर कूद पड़े और उसकी लगाम पकड़कर एक ओर को उसे दूरी तेजी से खदेड़ा' (पृष्ठ ३४) । लेखक, जान पड़ता है, कवि भी हैं । परंतु उन्होंने पुस्तक के अंतिम मनुच्छेद में 'आशा' के विषय में जो कल्पना की है वह है तो सुंदर, परंतु ऐसी लिष्ट है कि बालकों के मनोविज्ञान से परिचित लोगों को उनके वय के अनुरूप नहीं जँचेगी । 'बलभद्दर' को लेखक ने 'केवल पाँच घंटे में लिखा है' । हम उसकी इस द्रुत-लेखन-शक्ति की प्रशंसा भले ही करें, परंतु इस प्रकार की जल्दबाजी से जो गलतियाँ हुआ करती हैं उनसे होनेवाले मनथों से आँख नहीं हटा सकते। बालक का हृदय कच्ची मिट्टी के समान समझा जाता है, जिस पर पड़ी हुई छाप तत्काल प्रभाव डालती और अमिट सी होती है । उनको बाल्यावस्था से ही अस्त-व्यस्त, पूर्वापर संबंध से रहित, कथाएँ सुनाना जितना रोका जा सके उतना ही कल्याण- प्रद होगा यदि श्री श्रानंदकुमार 'बहुत सी गलतियाँ होना कोई आश्चर्य नहीं' मानते हुए भी इस कहानी को जल्दी छपाने का लोभ संवरण कर सकते तो उनके 'सुकुमार और सुंदर साथियों' का 'मनोरंजन' तो आगे भी होता, साथ हो उन्हें एकतथ्यता और अन्विति का ज्ञान अभी से हो चलता । इससे आगे चलकर उनकी भाषा स्वतः शुद्ध और शैली गठित हो जाती । भाषा की सरलता और सुबोधता की दृष्टि से उपर्युक्त तीनों पुस्तकें प्रशंसनीय हैं परंतु कुछ अशुद्ध शब्द, वाक्यांश और वाक्य अवांछनीय हैं; जैसे,— घनिष्टता; रक्खा; साहब सलाम ( सलामत ? ); कई पलँगें बिछी हुई थीं (लिंग १); जोरों से (१) भागे; शराब नहीं पिया ( ? ); जब वह मरने लगा तो (तब ?) उसने कहा था.........................। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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