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चिह्नांकित मुद्राएँ
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वर्गीकरण किया है । उस परिश्रम से अब यह निश्चयपूर्वक कहा जा सकता है कि कौन से अंक- चिह्न युक्त (Punch-marked ) सिक्के मौर्य काल के हैं, कौन से उस काल के पूर्व के हैं और कहाँ के हैं 1 आपने एक छोटी सी पुस्तिका भी प्रकाशित की है जिसमें इस वर्गीकरण को चित्रों में बताया है । उन्हीं की कृपा और उदारता से इन चित्रों को पत्रिका के पाठकों के ज्ञानार्थ प्रकाशित किया जाता है और उनके लेख का सार भी दिया जाता है । आगे जो कुछ लिखा है, उन्हीं की पुस्तिका से लिया गया है ।
इन प्राचीन चिह्नांकित ( Punch-marked ) मुद्राओं में प्रत्येक चिह्न अलग ठप्पे से अंकित किया जाता था । इस कारण कोई चिह्न तो अधूरा ही छप पाता था और कोई दूसरे चिह्न पर अथवा उसके भाग पर अंकित हो जाता था । इस प्रकार कभी कभी विचित्र आकृतियाँ बन जाती थीं । इस कारण अनेक शोधक इन प्राकृतियों को ठोक ठीक न समझ उलटे ही विचार बाँध बैठे हैं । उक्त बाबू साहब ने बड़े धैर्य से और सारे भारतवर्ष से प्राप्त लगभग ४,००० सिक्कों का निरीक्षण कर यह ढूँढ़ निकाला है कि प्रत्येक चिह्न का शुद्ध रूप क्या है 1 फिर उसके अर्द्ध रूप के देखने से भी उस पूर्ण चिह्न का ज्ञान हो जायगा । प्रायः विशेष भाग कित ( Punch-marked ) मुद्राओं पर चार या पाँच चिह्न एक और अंकित रहते हैं और दूसरी ओर छोटे छोटे एक से छ:- सात तक । इन चार-पाँच चिह्नों में से कुछ मुद्राओं में सभी एक से, में चार एक से, कुछ में तीन एक से चिह्न अंकित रहते हैं इनका क्या अर्थ है अभी तक यह बात पूरी तरह से जान नहीं पड़ी है । आपने ८३ चिह्नांकित रौप्य मुद्राओं का अध्ययन किया है । ये आपको तक्षशिला के निकट से मिली थीं। परिमाण में वे तीन प्रकार की हैं— कोई चौड़ी और
कुछ
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पतली, कोई लंबी और
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