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________________ उड़िया ग्राम - साहित्य में राम चरित्र धान कूटा - पेला चालीला केते रंगे रसे । महकी ऊठूछी वासना कि मीठा लागीवा से ॥ —' ढेंकी के पास हीरे और मणियों के सदृश धान का ढेर लगा हुआ 1 'राम और लक्ष्मण में वाद-विवाद हो रहा है कि कौन धान डाले और कौन कूटे । 'राम ने कहा - हे लक्ष्मण ! तुम धान डालो, मैं कूटूंगा । 'यह कहकर राम ढेंकी पर बैठ गए और पान खाने लगे। दो में से एक पान राम ने खा लिया । धान कूटने का काम आनंद से चलता गया । चारों ओर खुशबू फैल गई '' सीता के प्रति राम का क्रोध देखिए दौदरा माठिया हाते धरि करि 1 खीर दुहिबाकु सीताया गला । मो राम रे ! सत्रु खीर जाको तले बहि गना I सीताया ए कथा जाणी न पारीक्षा । मो राम रे ! बौहड़ीला राम हल् काम सरि खीर मंदे वेगे सीता कु मागील्ला । मो राम रे ! घाई घाई सीताया पाखकु श्रईला , घाईतांकु सबु कथा टी कहिला । मो राम रे ! रामं श्राखीटी रंग होई गला मन कि तोर लो बाइया हेला । मो राम रे ! - 'टूटे हुए पत्र में सीता दूध दुहने गई । 'सारा का सारा दूध नीचे बह गया । बात उसे मालूम ही नहीं हुई । 'हल चलाकर राम घर आए और उन्होंने सीता से दूध 'सीता दौड़कर आई और पति को सब बात सुना दी । ३२३ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat पात्र टूटा हुआ है, यह माँगा 1 www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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