________________
उड़िया ग्राम-साहित्य में राम-चरित्र ३१६ आँख बचाकर, झट से बीत जाते हैं। राम की छोटी छोटी बातें सुनने के लिये हमारा हृदय प्यासा ही रह जाता है। वहाँ हम यह नहीं जान पाते कि राम दिन में कितनी बार हँसते थे; कितनी बार वे मनोविनोद की बातें करते थे। उन बातों का पता लगाने के लिये हम उत्कंठित हो उठते हैं। राम क्या खाते थे? वे केवल फल पर ही निर्वाह करते थे या आटे की बनी हुई रोटो भो खाते थे ? उन्हें प्राटा कैसे और कहाँ से प्राप्त होता था ? क्या वे खेती-बारी भी करने लग गए थे? वे गाय का दूध पीते थे या भैंस का? यदि भैंस का तो उनकी भैंस किस रंग की थी और यदि गौ का तो क्या उनकी गा कपिला गाय थी? वे मिट्टी के पात्रों में दूध पीते थे या सोने-चांदी की कटोरियो में? इन सब प्रश्नों के उत्तर पाने के लिये हम बेचैन हो उठते हैं। हम बार बार रामायण का पाठ करते हैं किंतु राम को भली भांति देख नहीं पाते। कवि उनकी मोटी मोटो बातें ( Outlines ) बतलाकर ही हमें अपने साथ दौड़ाकर ले जाना चाहता है। हम धीरे धीरे चलना चाहते हैं और राम का पूरा पूरा दर्शन करना चाहते हैं। ___उड़ीसा प्रांत के ग्राम-साहित्य में राम-चरित्र की वे सब छोटी छोटी बातें, जिन्हें सुनने के लिये हम इतने व्याकुल हैं, कल्पना की कूची द्वारा खींची गई हैं। यहाँ के राम कृषक हैं । कृषि प्रधान देश के राम का यह कृषक-रूप देखकर हमारा हृदय तरंगित हो उठता है । हल चलाते हुए कृषक लोग जो गीत गाते हैं, उन्हें उड़ीसा में 'हलियागीत' कहते हैं। इन गीतों में प्राय: राम-चरित्र गाया जाता है। झूला झूलती हुई कन्याएँ 'दोली-गीत' गाती हैं। उनमें भी रामचरित्र की थोड़ो-बहुत झलक मिलती है। यहाँ के राम अमीर भी हैं और गरीब भी : अमीर इतने कि उनके घर में सोने के दीपक हैं
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com