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जेतवन
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(२४) अनुराधपुर में भी जेतवन और पूर्वाराम का अनुकरण किया गया था । पूर्वाराम श्रावस्ती के उसी प्रकार पूर्व तरफ था, जैसे अनुराधपुर ( सीलोन ) में उत्तरदेवी विहार ।
जिस प्रकार सुदत्त सेठ का नाम अनाथपिंडिक प्रसिद्ध है; उसी प्रकार विशाखा मिगारमाता के नाम से प्रसिद्ध है । नाम से, मिगार विशाखा का पुत्र मालूम होगा, किंतु बात ऐसी नहीं है, मिगार सेठ विशाखा का ससुर था। इस नाम के पड़ने की कथा इस प्रकार है
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विशाखा'... अंग राष्ट्र (भागलपुर, मुंगेर जिले) के भद्दिय ( = मुँगेर ) नगर में मेंडक सेठ के पुत्र धनंजय सेठ की अममहिषो सुमना देवी के कोख से पैदा हुई...। बिंबिसार राजा के आज्ञा- प्रवर्तित स्थान ( अंग-मगध ) में पाँच प्रतिभोग व्यक्ति जातिय, जटिल, मेंडक, पुराणक और काकवलिय थे...। श्रावस्तो में कासल राजा ने बिंबिसार के पास संदेश भेजा... हमका एक महाधनी कुल भेजेा ।... राजा ने... धनंजय को... भेजा । तब कोसल राजा ने श्रावस्ती से सात योजन के ऊपर साकेत ( प्रयेोध्या ) नगर में श्रेष्ठी का पद देकर ( उसे ) बसा दिया। श्रावस्ती में मिगारसेठी का पुत्र पूर्णवर्द्धनकुमार वयःप्राप्त था ।... मिगार सेठ ( बारात के साथ ) कोसल राजा को लेकर गया ।... चार मास ( उन्होंने वह ) पूरा किया ।... . ( धनंजय सेठ ने विशाखा को ) उपदेश देकर दूसरे दिन सभी श्रेणियों को इकट्ठा करके राजसेना के बीच में आठ कुटुंबियों को जामिन देकर - 'यदि गए हुए स्थान पर मेरी कन्या का कोई दोष उत्पन्न हो, तो तुम उसे शोधन करना' - कह कर नौ करोड़ मूल्य के 'महालता' आभूषण से कन्या को ग्रभूषित कर, स्नान चूर्ण के मूल्य में ५४ सौ गाड़ी धन दे...। मिगारसेठी ने... सातवें दिन... नंगे श्रमणकों को बैठाकर, (कहा) - मेरी बेटी आवे, अर्हतों की वंदना करे ... । वह... उन्हें
( १ ) श्रं० नि०, १:७:२, अ० क० २१ ।
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