SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 313
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३०८ नागरीप्रचारिणी पत्रिका तथा जीर्ण प्रतिसंस्करणार्थ रखा हुआ सोना चाँदी है। काटरूपादि के रूप में, तथा प्रश्न पूछने आदि के लिये पानेवाले स्त्री-पुरुष हैं । इसलिये वह ( मिगारमातु पासाद ) ननसे शून्य है, का अर्थ है-- इंद्रिययुक्त जीवित हाथी आदि का, तथा इच्छानुसार उपभोगयोग्य सोने चांदी का, नियमपूर्वक बसनेवाले स्त्री-पुरुषों का अभाव"। इससे-- ( २१ , वह सोने चाँदी से शून्य था। अट्ठकथा की इस पर की लीपापोती सिर्फ यही बतलाती है कि कैसे पीछे भिक्षुवर्ग चमकदमक के पीछे पड़कर, तावील किया करता था। दीघनिकाय की अट्ठकथा में-- ____ "(विशाखा)' दशवल की प्रधान उपस्थायिका ने उस प्राभूषण को देकर नव करोड़ से... करीस भर भूमि पर प्रासाद बनवाया । उसके ऊपरी भाग में ५०० गर्भ, निचले भाग में ५०० गर्भ, १००० गर्भो से सुशोभित । वह प्रासाद खाली नहीं शोभा देता था, इसलिये उसको घेरकर, साढ़े पाँच सौ घर, ५०० छोटे प्रासाद और ५०० दीर्घशालाएं बनवाई...। अनाथपिंडिक ने...श्रावस्ती के दक्षिण भाग में अनुराधपुर के महाविहार-सदृश स्थान पर जेतवन महाविहार को बनवाया। विशाखा ने श्रावस्ती के पूर्व भाग में उत्तमदेवी विहार के समान स्थान पर पूर्वाराम को बनवाया। भगवान् ने इन दो विहारों में नियमित रूप से निवास किया। (वह) एक वर्षा० को जेतवन में व्यतीत करते थे, एक पूर्वाराम में।" (२२) विहार एक करीस अर्थात् प्राय: ३ एकड़ भूमि में बना था। (२३) चारों ओर और हजारों घरों, छोटे प्रासादों, दीर्घशालाओं का लिखना अट्ठकथाकारों का अपना काम मालूम होता है। (१) दी. नि०, श्रानअसुत्त २०, अ० क० पृ० १४ । अं० वि० ० क. १:७:२ भी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy