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________________ जेतवन २६७ (ग) संयुत्तनिकायों में एकांत विहार का भी जिक्र नहीं। बिल्कुल चुपचाप पारिलेयक का चला जाना लिखा है। पीछे चिरकाल के बाद आनंद का भिक्षुओं के साथ जाना, किंतु हाथी आदि का वर्णन नहीं। (घ) धम्मपदट्ठकथारे में झगड़े के विस्तार का वर्णन है, और महावग्ग की तरह यात्रा करके पारिलेयक में जाना तथा वहाँ वर्षावास करना भी लिखा है। वर्षावास के बाद फिर वहाँ से जेतवन जाना। यद्यपि चारों जगहों की कथानों में परस्पर कितना ही भेद है, किंतु संयुत्तनिकाय से भी, जो नि:संदेह सबसे पुरातन प्रमाण राजमहामेत्तहि तिस्थियोहे तिस्थियसाव केहि प्राकिण्णो दुक्खं न फासु विहरति ।... अथ खो भगवा...अनामंतेत्वा उपट्ठाकं अनपलोकेत्त्वा भिक्खुसंघं एको अदुतीयो येन पारिलेय्यकं तेन चारिक पक्कामि। अनुपुब्बेन चारिक चरमानो येन पारिलेय्यकं तदवसरि । तत्तसुद भगवा पारिलेय्यके विहरति रक्खितवनसंडे भद्दसालमूले । अञ्जतरोपि खो हत्थिनागो...येन भगवा तोनुपसंकमि । -उदान, ४:५। (2) एकं समयं भगवा कोसंबियं विहरति घोसितारामे ।...कोसंबियं पिडाय चरित्वा...अनामंतेत्वा उपट्टाके, अनपलोकेत्त्वा भिक्खुसंघ, एको अदु. तीयो चारिकं पक्कामि।...एकको भगवा तस्मिं समये विहरितुकामो होति ।... अथ खो भगवा अनुपुब्बेन चारिकं चरमानो येन पारिलेय्यकं तदवसरि। तत्यसुदंपारिलेय्यके विहरति भद्दसालमूले ।...अथ खो संबहुला भिक्खू ..अानंद उपसंकमित्त्वा...चिरस्सं सुता खो नो श्रावुसो श्रानंद भगवतो सम्मुखा धम्मियकथा ।...अथ खो... श्रानंदो तेहि भिक्खूहि सद्धिं येन पारिलेख्यक भद्दसालमूलं येन भगवा तेनपसंकमि ।...भगवा धम्मिया कथाय संदरसेसि । -सं०नि०, २१:८ । (२) कोसबियं पिडाय चरिच्चा अनपलोकेत्त्वा भिक्खुसंघं एककोव... बालकलोणकारगामं गत्वा...पाचीनवंसदाये...येन पारिलेय्यकं तदवसरि...भद्दसालमूले पारिलेय्यके एकेन हत्थिना उपट्टहियमाना फासुकं वस्सावासं वसि।... अनुपुब्बेन जेतवनं अगमासि ।...(ध० ५०, १:१, अ० क.) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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