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नागरीप्रचारिणी पत्रिका की Mo. No 5 (कारेर गंधकुटी) को सीमा पर रखना चाहिए । गंधकुटी से दक्षिण ६८०, उतना ही उत्तर ले लेने से लंबाई उत्तरदक्षिण १३६०' होगी; इस प्रकार सारा क्षेत्रफल प्राय: २५ एकड़ के होगा। इस परिणाम पर पहुँचने के लिये हमारे पास तीन कारण हैं-(क) गंधकुटी जेतवन के बीचोबीच थी, जेतवन वर्गाकार था, इसके लिये कोई प्रमाण न तो लेख में है और न भूमि पर ही। इसलिये जेतवन को एक आयत क्षेत्र मानकर हम उसके बीचोबीच गंधकुटी को मान सकते हैं। (ख) गंधकुटी के पूर्व तरफ का 1). ही पुष्करिणी सा मालूम होता है, जिसकी पूर्वीय सीमा से जेतवन बहुत दूर नहीं जा सकता। (ग) Mo. No.19 को राजकाराम मान लेने पर जेतवन की सीमा Mo. No. 5 तक जा सकती है।
तक्ष वीसतिखारिकाति, मागधकेन पत्थेन चत्तारो पत्था कोसलरटेक पत्थो होति. तेन पत्थेन चत्तारो पत्था आढ़कं, चत्तारि प्राढ़कानि दोणं, चतुदोणं मानिका, चतुमानिकं खारि, ताय खारिया वीसति खारिको तिलवाहोति; तिलसकटं ।'
प्रस्तु, ऊपर के वर्णन से हम निम्न परिणाम पर पहुँचते हैं(१) १८ करोड़ कार्षापण बिछानेसे १८.३४८ एकड़ (२) साहनी के अनुसार वर्तमान में २२.३ ,, (१६००४ ६००') (३) उसमें से राजकाराम निकाल देने पर १४७,, (१२००' x ६००') (४) गंधकुटी, पुष्करिणी,कारेरी कुटी से २४६ ,, (१३६०। ४८००') (५)८ करीस १,२ (अम्मण =२ एकड़ ) ६४ ,
एक और तरह से भी इस क्षेत्रफल के बारे में विचार कर सकते हैं। करीस (संस्कृत खारीक) का परिमाण अभिधानपदीपिका और लीलावती में इस प्रकार दिया है
(.)परम स्थजातिका II, p. 476
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