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________________ २५२ नागरीप्रचारिणो पत्रिका समस्त राजवंश आगरा क्यों बुला भेजा— उसका सर्वनाश कराने के लिये ? नहीं । इसका अभिप्राय यही था कि अब हिंदुस्तान में शांति स्थापित हो चुकी थी और उसने यहीं शासन करने का निश्चय भी कर लिया था । २ (ख) हुमायूँ के समकालीन इतिहासकारों ने बार बार यह बतलाया है कि बाबर हुमायूँ को उत्तराधिकारी बनाकर वैराग्य ले लेना चाहता था' । गुलबदन बेगम के अनुसार हुमायूँ की बीमारी के समय उसने व्यथित माहम से कहा था - " माहम, यद्यपि मेरे और भी पुत्र हैं परंतु मैं हुमायूँ के इतना किसी को प्यार नहीं करता । मेरी यही कामना है कि यह पुत्र चिरायु हो तथा इसी को सिंहासन मिले, औरों को नहीं ।" एक ऐसे भावुक व्यक्ति के लिये यह कहना कि वह दिल्ली कोष से रुपया निकाल लेने के कारण हुमायूँ से कुढ़ रहा था, कितना असंगत है यह पाठक स्वयं समझ सकते हैं । हुमायूँ ने अपनी योग्यता तथा वीरता का अभी तक सदा परिचय दिया था और बाबर भी उसे एक कुशल शासक बनने का उपदेश देता रहता था । एक बार उसने लिखा था - "ईश्वर को धन्यवाद ! अब प्राणों की बाजी लगाने और तलवार चलाने की तुम्हारी बारी है । आलस्यमय एकांतवास सम्राटों के लिये हितकर नहीं है४ " | (१) हुमायूँ नामा, अनु० मिसेज बिवरिज, पृष्ठ १०४-०५ । ( २ ) वही, पृष्ठ १०३ । ( ३ ) " बाबर के पुत्रों में हुमायूँ सबसे योग्य, प्रतापी तथा प्रतिभाशाली था । ऐसी अच्छी प्रकृति के तथा संपन्न पुरुष मैंने बहुत कम देखे हैं।" - तारीखे - रशीदी, पृष्ठ ४६६ । ( ४ ) " अपने भाइयों के साथ मेल से रहो । बड़ों को बोझ उठाना तुजुके- बाबरी जि० ३, पृष्ठ ६२६ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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