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नागरीप्रचारिणी पत्रिका
उस समय उसने जो कुछ बदख्शाँ-निवासियों से सुना उसी के आधार पर अपना मत प्रकट किया। हुमायूँ ने अपने जाने का वास्तविक रहस्य तो उनसे छिपा रखा था और अपने पिता के बुलाने का बहाना कर दिया था । अतः मिरजा हैदर की पुस्तक के उक्त अवतरण पर श्रागरा की कलुषित राजनीति की छाप न होना स्वाभाविक ही है' । प्रो० रक विलियम्स ने अपनी असाधारण योग्यता से इस मत का खंडन करते हुए इसे बहाना बताया है । उन्होंने चार प्रमाण दिए हैं— हुमायूँ की उपस्थिति ने आगरा में सबको चकित कर दिया; बाबर हिंदाल को बुला चुका था और दोनों को एक साथ कभी न बुलाता; हुमायूँ के स्थान में कोई दूसरा नियुक्त नहीं किया गया था; बाबर ने हुमायूँ से अपने सूबे को लौट जाने को कहा ? बात भी ऐसी ही मालूम होती है। बाबर जैसे मातृ-भूमि-प्रेमी के लिये केवल पुत्र प्रेम पर बदख्शाँ खा बैठना सर्वथा असंभव था ।
अबुल फजल ने दूसरे मत
ने दूसरे मत का समर्थन करते हुए कहा है" एकाएक हुमायूँ के हृदय में सम्राट् जन्नत - ए - आशियानी के दर्शन करने की उत्कट लालसा हुई तथा अपने को रोकने में असमर्थ
( १ ) तारीखे - रशीदी के अनुसार बाबर ने हुमायूँ को बुला भेजा ताकि उसकी एकाएक मृत्यु के समय कोई उत्तराधिकारी निकट ही मिल जाय । तबकाते - श्रकबरी के लेखक तथा कुछ अर्वाचीन इतिहास - विशेषज्ञों की भी यही धारणा मालूम होती है। परंतु यह तो एक आश्चर्य तथा हँसी की बात है कि बाबर अपनी एकाएक मृत्यु के विषय में पहले से ही कैसे जान गया ? " एकाएक मृत्यु" हो जाने के समय का ज्ञान हो जाना सृष्टिकर्ता के कार्य में हस्तक्षेप करना है। मिरजा हैदर का वह कथन अविश्वसनीय मालूम होता है ।
( २ ) ऐन एंपायर बिल्डर आफ दी सिक्स्टींथ सेंचुरी - लेखक एल० एफ० रश्बुक विलियम्स, पृष्ठ १७२, टिप्पणी २ ।
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