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________________ २१८ नागरीप्रचारिणी पत्रिका So lovely fair That what seemed fair in all the world seemed now Mean or in her summed up in her contained, And look in her looks which from time infused Sweetness into my heart unfelt before.” ____ अर्थात् उसकी सुंदरता के सम्मुख संसार भर की सुंदरता तुच्छ या उसी में समन्वित प्रतीत होती है। उसकी दृष्टि ने मेरे हृदय में एक ऐसी मोहिनी डाल दी जिसका इसके पूर्व मुझे कोई ज्ञान न था। दंडो की सौंदर्य-कल्पना में चमत्कार है, अकबर के सौंदर्य में अपार तेज है और मिल्टन की सौंदर्यानुभूति मधुर, स्निग्ध तथा शांत है। उसमें भौतिकता तथा ऐंद्रियता का उतना समावेश नहीं है जितना आध्यात्मिकता का। वह साधारण जन के लिये कल्पनातीत है। काव्य-प्रेमियों की कल्पना के लिये उसमें विस्तृत विहार-क्षेत्र है एवं उससे उनके मस्तिष्क को एक नैसर्गिक तृप्ति का अनुभव होगा। पद्माकर का सौंदर्य-वर्णन यद्यपि मिल्टन के सौंदर्य-वर्णन के समान श्रेष्ठ नहीं कहा जा सकता पर साधारण पाठकों को वह अपेक्षाकृत अधिक चमत्कृत करने में अवश्य समर्थ है। अलस-सौंदर्य के अंकित करने में पद्माकर बहुत ही कुशल हैं। उन्होंने वैसे अनेकों चित्र खींचे हैं। उनमें से दो यहाँ पर दिए जाते हैं अधखुली कंचुकी उरोज अधाधे खुले, अधखुले वेष नख-रेखन के मलकै । कहै 'पदमाकर' नवीन अध नीबो खुली, अधखुले छहरि छरा के छोर छलकै ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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