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नागरीप्रचारिणी पत्रिका इस नायिका की शरीर-सुगंधि का अनुभव करते ही एडमंड स्पेंसर (Edmund Speacer) की सौंदर्य-वाटिका (The Garden of Beauty ) वाली नायिका का स्मरण हो आता है। नायक जब नायिका के अधर-चुंबन के लिये निकट गया तब उसे जो अनुभव हुआ उसे अंकित करते हुए कहा है
Coming to kiss her lips (such grace I found). Me seem'd I smelt a garden of sweet flow'rs That dainty odours from them throw around, For damsels fit to deck their lovers bow'rs.
नायिका के अधरों में मधुर पुष्पों की वाटिका की सुगंधि का अनुभव कवि के कोमल मस्तिष्क के अनुकूल ही हुआ है। पर पद्माकर की नायिका के शरीर की सुगंधि ने मधुर पुष्पो की (अर्थात् जाही, जुही, मल्लिका, चमेली, मनमोदिनी की कोमल कुमोदिनी की) वाटिका की उपमा को खराब कर दिया है, उसकी सुगंधि उस वाटिका से भी मधुरतर है।
पद्माकर की नायिका की सौंदर्य-प्रभा भी बहुत ही तेज-संपन्न है। तारों की तो बात ही क्या, न केवल ताराराज चंद्र की चांदनी ही वरन् स्वयं वे भी उसके सम्मुख निष्प्रभ हो जाते हैं। इसी से नायिका के प्रेमी ने उसे आफताब (सूर्य) बताया है। उसके सम्मुख शेक्सपियर की जूलियट का सौंदर्य-जिसके लिये कहा है किOh she, doth teach the torches to burn bright मानों मंद पड़ जाता है।
अतिशयोक्ति के लिये तो भारतीय कवि प्रसिद्ध ही हैं। सौंदर्यप्रभा के संबंध में दो-तीन छंद बहुत प्रचलित हैं
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