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हिंदी काव्य में निर्गुण संप्रदाय प्रबोधित करते हुए काफिर-बोध नामक पद्य-ग्रंथ लिखा था, जो अाजकल कहीं गोरखनाथ और कहाँ कबीर का माना जाता है। 'काफिर-बोध' में यह दिखलाने का प्रयत्न किया गया है कि हिंदू
और मुसलमान में भेद-भाव नहीं रखना चाहिए, क्योंकि जिस बिंदु से हिंदू-मुसलमान पैदा होते हैं वह न हिंदु है, न मुसलमान । हिंदू मुसलमान दोनों एक ही परमात्मा के सेवक हैं अतएव हम जोगी किसी से पक्षपात नहीं रखते।
लगभग दो शताब्दी के बाद वैष्णव साधु रामानंद ने कबीर नामक एक मुसलमान युवक को अपना चेला बनाया, जिसके भाग्य में एक बड़े भारी ऐक्य प्रांदोलन का प्रवर्तक होना लिखा था ।
स्वयं मुसलमानों में ऐसे लोगों का प्रभाव न था जो हिंदू. मुस्लिम विद्वेष के अनौचित्य को देख सकते । उनमें प्रमुख सूफी फकीर
___ थे जिनकी विचार-धारा हिंदुओं के अधिक ६. हिंदू विचारधारा रोल में थी। सफी मत का उदय अरब में और सूफी धर्म
हुआ था। अरब और भारत का पार. स्परिक संबंध बहुत प्राचीन है। इतना तो पाश्चात्य विद्वान् भी मानते हैं कि अरब और भारत का व्यापार-संबंध ईसा के पूर्व १०८६ वर्ष पहले से है। बौद्ध धर्म ने अशोक के राजत्व-काल
(.) जिस पाणी से कुल मालम उतपानां ।
ते हिंदू बोलिए कि मुसलमानां ॥ २० ॥ हिंदू मुसलमान खुदाइ के बंदे। हम जोगी ना रखें किस ही के छंदे ॥३॥
-"पौड़ी हस्तलेख", पृ. २४३ । (२) लंदन की रायल सोसाइटि ऑव पार्ट के भारतीय विभाग के सामने कप्तान पी. जॉन्स्टन सेंट का दिया हुमा ऐन आउट-लाइन श्राव दि हिस्टरी आँध मेडिसिन इन इंडिया (भारतीय औषधविज्ञान के इतिहास की रूप-रेखा ) शीर्षक सर जार्ज बर्डउड-स्मारक व्याख्यान,
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