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नागरीप्रचारिणी पत्रिका (५) राघव ने राजा के क्रोध से भयभीत होकर चित्तौड़ छोड़ दिया। दिल्ली जाकर उसने वहाँ, ज्योतिष विद्या और अपने पांडित्य के कारण, बहुत ख्याति प्राप्त की। यहाँ तक कि सुलतान अलाउद्दीन ने आदर के साथ बुलाकर उसको अपने पास रखा। अवसर पाकर राघव ने प्रपंच रचकर एक भाट द्वारा राजहंस पक्षी के पर को सुलतान के सम्मुख उपस्थित कराया और उससे कहलाया कि पद्मिनी स्त्रियों के शरीर की कोमलता इससे भी अधिक होती है। सुलतान के प्रश्न करने पर राघव ने पद्मिनी, चित्रिणी, हस्तिनी तथा शंखिनी स्त्रियों के लक्षणों का वर्णन किया। सुलतान ने मणिमय महल में अपनी सब स्त्रियों के प्रतिबिंब राघवचेतन को दिखलाए । राघव चेतन ने कहा कि उनमें एक भी पद्मिनी नहीं है। जटमल ने राजहंस की जगह खरगोश और मणिमय महल की जगह तैलकुंड का वर्णन किया है।
प्रागे की कथा में भी इसी प्रकार तीनों ग्रंथों में थोड़ी थोड़ी भिन्नता है। लेख बढ़ जाने के भय से उसका यहाँ वर्णन नहीं किया जाता। आशा है, “गोरा बादल की बात' के विद्वान् संपादक तीनों ग्रंथों के कथानक की भिन्नता तथा उसके कारणों पर अवश्य विचार करेंगे।
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