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गोरा बादल की बात
१६३ इस ढिंढोरे के अनुसार राजा रत्नसेन ने अखाड़े में अपना पराक्रम दिखा विजय के साथ पद्मिनी को भी पाया। विवाह के पश्चात् छः महीने और कुछ दिवस सिंहल में रहकर राजा, बहुत से हाथी-घोड़े दास-दासियों के साथ, पद्मिनी को लेकर चित्र. कूट वापस आया। इस समय तक राजा के पुत्र वीरभाण ने राज्य का प्रबंध किया था।
(४) राघव चेतन के संबंध में भी तीनों ग्रंथकारों ने पृथक पृथक् बातें लिखी हैं
(क) जायसी राघव चेतन को जादूगर बतलाता है और लिखता है कि जब राजा को राघव चेतन का जादूगर होना मालूम हुआ तब उसको अपने पास से निकाल दिया। राघव चेतन ने दिल्ली जाकर अलाउद्दीन से पद्मिनी के सौंदर्य की प्रशंसा की और इस प्रकार वह अलाउद्दीन को चित्तौड़ पर चढ़ा लाया।
(ख ) जटमल राघव चेतन का सिंहल से ही राजा के साथ पाना कहता है और लिखता है कि शिकार में राघव चेतन ने पद्मिनी के सदृश एक पुतली बनाई । उस पुतली की जंघा पर एक तिल भी बनाया। पद्मिनी की जंघा पर ऐसा तिल था। राजा ने राघव चेतन पर संदेह करके उसको चित्तौड़ से निकाल दिया ।
(ग) “पद्मनी-चरित्र" का कर्ता राघव चेतन के विषय में तीसरी ही बात कहता है । राघव चेतन नामक व्यास (कथा-वाचक पंडित ) चित्तौड़ में रहता था। राजा के यहाँ उसका बहुत सम्मान था। वह राजमहल में, दिन में अथवा रात में, सब जगह जाता था। एक दिन राजा पद्मिनी के साथ एकांत में क्रीड़ा कर रहा था। राघवचेतन बिना सूचना दिए वहाँ चला गया। राजा ने क्रुद्ध हो उसको महल से बाहर निकलवा दिया !
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