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________________ १७४ नागरीप्रचारिणी पत्रिका करके कावेरी के तौर पर महामृत्युंजय का जप करना और शुद्धचरित बालक से व्याधि आदि मृत्यु के साधनों का परास्त होना दिखाया है। अंतिम अंक में धर्मराज द्वारा कर्म-विपाक की सूचना तथा अपने आचरण द्वारा मुनि-पुत्र का दीर्घायु होना प्रदर्शित किया है। यह ग्रंथ वर्तमान लीमडी-नरेश महाराणा श्री दौलतसिंह वर्मा के पौत्र सदगसराम राजेंद्रसिंह-स्मारक ग्रंथमाला का प्रथम पुष्प है और जामनगर के आतंझ-निग्रह नामक मुद्रणालय में छपा है। छपाई सफाई अच्छी है। गुजराती अनुवाद भी देखने योग्य है। शिवदत्त शर्मा (३) ऊमर-काव्य यह पुस्तक चारण-महाकवि ऊमरदान 'बालक' की कविताओं का संग्रह है, जो चार सौ पृष्ठों में समाप्त हुआ है। छपाई, कागज आदि की उत्तमता के साथ इसका ११ रु० मूल्य कम है। प्रारंभ में रायबहादुर पं. गौरीशंकर हीराचंद ओझा, पुरोहित हरिनारायणजी बी० ए०, श्री जयकर्णजी बारहट बी ए०, एल-एल० बी० आदि कई विद्वानों के अनुवचन आदि २६ पृष्ठों में दिए गए हैं, जिनसे पुस्तक का महत्त्व प्रकट होता है। इसके बाद ग्रंथ का आरंभ होता है। पहले ईश्वर की स्तुति कर भजन की महिमा बतलाई गई है और तब भक्तों की वंदना की गई है। संत-असंत की विवेचना करते हुए वैराग्य, धर्म प्रादि पर कुछ कहा गया है और तदनंतर राव जोधा, दुर्गादास, राणा प्रताप आदि क्षत्रिय वीरों की स्तुति की गई है। इसके सिवा साधारण उपदेश, मदिरापान प्रादि के विरोध में, कविता में किया गया है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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