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________________ १६० नागरीप्रचारिणी पत्रिका चौड़ा, एक कुंड है जिसके विषय में कहावत है कि कितनी ही रस्सियाँ जोड़कर डाली जाने पर भी थाह न मिली। इस गंगा का पानी निर्मल, स्वच्छ और मीठा है। इस गुफा में शिवजी की एक मूर्ति है। इसके पास ही मौरा भौरा नाम के दो मकान हैं जो प्राय: बंद रहते हैं। इनमें प्राचीन समय के मसालों की बाटियाँ रखी हुई हैं तथा लड़ाई के सामान हैं। यहाँ पर बुजों पर तो चढ़ी हुई हैं। राणी तालाब पर सदरुद्दीन पीर का मकबरा है। दिल्ली-दरवाजे पर शंकर का मंदिर है जो सदा बंद रहता है और वर्ष में केवल एक बार शिवरात्रि को खुलता है। यहीं पर राव हम्मीरदेव का सिर है जो मनुष्य के सिर के बराबर है। कहते हैं, राव हम्मीर जब अलाउद्दीन को परास्त करके आए तब उन्होंने गढ़ में रानियों को न पाया। वे सब चिता में भस्म हो गई थीं। राव को इससे इतनी ग्लानि हुई कि उन्होंने आत्मघात करने का निश्चय कर लिया, लेकिन कुछ विचार कर वे शिवजी के मंदिर में आए और, पूजन कर, कमल काटकर शिव पर चढ़ा दिया : गढ़ रणथंभौर केवल साढ़े तीन कोस के घेरे में है, पर है सीधे खड़े पहाड़ पर । किले के तीन और प्राकृतिक पहाड़ी खाई ( जिसमें जल बहता रहता है) और झाड़ियों का झुरमुट है। खाई के उस तरफ वैसा ही खड़ा पहाड़ है जैसा किले का है। उस पर परकोटा खिंचा हुआ है। फिर चौतरफा कुछ नीची जमीन के बाद तीसरे पहाड़ का परकोटा है और पक्की मजबूत दीवारें खिंची हुई हैं। इस प्रकार कोसो के बीच में किला फैला हुआ है। पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और कोसों तक लंबा-चौड़ा मैदान है जिसके चारों ओर पहाड़ियों का सिलसिला परकोटे का काम दे रहा है। कुछ दूर पूर्व की ओर एक गढ़ खंधार इसी पहाड़ी सिलसिले में और है जो मजबूत गिना जाता है। यद्यपि किले में भी जंगल-पहाड़ है, पर फाटकों Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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