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________________ १५८ नागरीप्रचारिणी पत्रिका सा कुंड है, जिसे मोरकुंड कहते हैं। और भी कई बावलियों पड़ती हैं। मोरकुंड से पहाड़ी का चढ़ाव है। कुछ चढ़ने के अनंतर एक पक्का परकोटा और मोर-दरवाजा नाम की पाली ( गोपुर ) है। यह परकोटा दोनों ओर पहाड़ों पर चला गया है। दरवाजे से रास्ता फिर नीचे को उतरता है और कुछ पहाड़ो उतार-चढ़ाव के पीछे फिर उसी प्रकार का एक दरवाजा पाता है जो बड़ा दरवाजा कहलाता है। यहाँ भी पहले की तरह दोनों ओर की पहाड़ियों पर पक्का परकोटा चला गया है। इस दरवाजे से नीचे उतरकर एक बड़ा मैदान है जो तीन तरफ पहाड़ियों से घिरा हुआ है। उसी में एक और दीवार की तरह खड़े पहाड़ पर रणथंभौर का दृढ़ और अभेद्य दुर्ग है। इस मैदान में एक बड़ा ताल है जो पद्मला कहलाता है ( छोटा पद्मला दुर्ग में है) और लगभग ६-७ मील के घेरे में है। इसमें कमल फूले रहते हैं। कोई आध कोस चलने पर किले पर चढ़ने का फाटक प्राता है जिसका नाम नौलखा है। यहाँ पर एक पैसा देकर एक आदमी को किलेदारों के पास भेज प्रवेश करने की परवानगी मंगवानी पड़ती है, जो घंटे डेढ़ घंटे में पा जाती है। इतनी देर में पथिक पास के एक कुएं पर स्नान-ध्यान से निपटकर थकावट दूर कर ले सकता है। यहाँ से किले की शोभा अच्छी दिखाई पड़ती है। किले का पहाड़, ओर से छोर तक, दीवार की तरह सीधा खड़ा है। उस पर मजबूत पक्का परकोटा और बुर्ज (गढ़ ) बने हुए हैं जिन पर तोपें चढ़ी हुई हैं। दरवाजे से ऊपर तक पक्की सीढ़ियाँ बनाई गई हैं, जिन पर तीन फाटक बीच में पड़ते हैं। एक गणेश रणधीर दरवाजा है जिसमें पीतल के पत्र पर संवत् १८७८ खुदा हुआ है। इसी दरवाजे के उपर एक बुर्ज ( गढ़) पर तोन मुँह की तोप रखी हुई है, जो लगभग चार गज लंबी है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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