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( ४ ) इतिहास - प्रसिद्ध दुर्ग रणथंभौर का संक्षिप्त वर्णन
[ लेखक - श्री पृथ्वीराज चौहान, बूँदी ]
रणथंभौर का किला जयपुर राज्य में जयपुर से कोई ४५ कोस दक्षिण की ओर सघन पहाड़ियों में, सघन झाड़ियों के भीतर, बना हुआ है। नागदा-मथुरा रेलवे लाइन पर मथुरा से कोई ७० कोस बंबई की ओर जाने पर सवाई माधवपुर स्टेशन पड़ता है । यहाँ से कोई सवा कोस पर पहाड़ों के बीच सवाई माधवपुर नगर है जिसे, ऐसा प्रतीत होता है कि, जयपुर के महाराज सवाई माधवसिंहजी ने रणथंभौर हाथ आने पर बसाया था । यहाँ जयपुर राज्य की निजामत है। राज्य की ओर से एक नाजिम ( डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट ), तहसीलदार, थानेदार और डाक्टर रहते हैं । यह नगर भी पुराना, कहीं कहीं टूटा-फूटा और बे-मरम्मत, बड़े विस्तार में, बसा हुआ आबादी आठ-दस हजार से अधिक नहीं है। थंभौर को जाना पड़ता है। कोई साढ़े चार कोस सघन झाड़ियों और ऊँची-ऊँची पहाड़ियों के बीच एक पगडंडी की राह से चलना पड़ता है, जिसमें शेर बघेरे, चोते, रीछ आदि हिंसक जीवों की बहुतायत है । मार्ग में स्थान स्थान पर ओदियाँ लगी हुई हैं और कठहरे बँधे हुए हैं जिनमें पाड़े ( भैंसे ) बाँधे जाते हैं। दिन ही में रास्ता चलता है, रात को नहीं । मार्ग में पहाड़ियों का चढ़ाव - उतार यात्री को थका देता है । जगह जगह पानी के चश्मे बहते मिलते हैं। झाड़ियों में एक नाले के किनारे पानी का एक छोटा
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यहाँ से ही रण
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