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नागरीप्रचारिणी पत्रिका शिवाजी को अपनी माता की ओजस्विनी प्रेरणा से राष्ट्रीय संग्राम में बड़ा बल प्राप्त होता था। ____ केवल पिता, पति तथा पुत्र का ही पुत्री, पत्नी तथा माता के प्रति महत्त्वपूर्ण कर्त्तव्य नहीं था वरन् समाज तथा राजा का भी त्रियों के प्रति बड़ा भारी कर्तव्य था, जिसका पालन न करने से वे पापी समझे जाते थे। स्त्री का अपमान करनेवाले व्यक्ति को राज्य की ओर से दंड मिला करता था । अनाथ स्त्री का सारा भार समाज पर होता था; उसकी रक्षा करना समाज का कर्तव्य था।
स्रो पुरुष की सच्ची सहायिका, श्रद्धा तथा प्रेम की मंदाकिनी कुलाचार की सुदक्ष रक्षिका तथा भावी राष्ट्र की निर्माणकी है। इसी लिये तो शास्त्रों ने इनकी रक्षा का उपदेश निम्नलिखित शब्दों में किया है
पिता रक्षति कौमारे भर्वा रक्षति यौवने । रक्षन्ति स्थविरे पुत्राः न स्त्री स्वातंत्र्यमर्हति ॥
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