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________________ १३६ नागरीप्रचारिणो पत्रिका माना जाता है उसकी यह विशेषज्ञा तथा सफल-चिकित्सिका थी। इस देवी ने ऐसी औषधियों का आविष्कार किया था जो कुष्ठ, क्षय आदि रोगों को समूल नष्ट कर देती थीं। इसने अपने पिता का कुष्ठ रोग दूर करके उसे पूर्ण स्वस्थ बना दिया था। इसी प्रकार इप्स देवी ने अन्यान्य अनेक राजरोगों से पीड़ित व्यक्तियों का प्रतिकार किया था। कितनी ही राजकन्याएँ शस्त्र विद्या तथा राजनीति का विशेष अध्ययन करतो थीं। राजा द्रुपद ने अपनी पुत्रो द्रौपदी को विधिपूर्वक नीति शास्त्र का अध्ययन कराया था। द्रौपदी ने इस शाख की शिना तस्वति से प्राप्त की थी। पांडवों को युद्ध के लिये प्रेरित करते हुए उसने इस ज्ञान का उपयोग किया था। जब कृष्ण संधि का संदेश लेकर दुर्योधन के पास प्रस्थान कर रहे थे तब उनके साथ द्रौपदी का जो वार्तालाप हुआ था उससे विदित होता है कि वह कितनी नीति-निपुण थो३ । इसी प्रकार कुंती, गांधारी और विदुला आदि महिलाएं भी अवश्य राजनीति में निष्णात रही होगी; अन्यथा कुंती रोमांचकारी संदेश के द्वारा अपने पुत्रों को युद्ध के लिये प्रेरित नहीं कर सकती थो४, गांधारी अपनी आँखों पर पट्टी बाँधे हुए भी उस राजसभा में सम्मिलित नहीं हो सकती थी जिसमें महायोगी श्रीकृष्ण जैसे चतुर राजनीतिज्ञ पांडवों की ओर से मानों युद्ध का 'अल्टीमेटम' देने के लिये उपस्थित हुए (१) ऋग वेद ८-११, ४, ५, ६ । Rgvedic Culture, pp. 248, 249, 350. (२) महाभारत-वनपर्व, १०-४१३ । (३) महाभारत-उद्योगपर्व, ४-२७६-२८० । (४) वही, १-२१८-५२६ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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