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________________ हिंदो काव्य में निर्गुण संप्रदाय दिखाई देता है। कबीर ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि परमात्मा विश्व में और विश्व परमात्मा में अवस्थित है खालिक खलक खलक में खालिक सब घट रह्या समाई। परमात्मा की इसी व्यापकता के कारण उसे मंदिर मस्जिद आदि में सीमित मान लेना मूर्खता हो जाती है। मुसलमानों के लिये खुदा मस्जिद में और हिंदुओं के लिये ईश्वर मंदिर में है तो क्या जहाँ मंदिर मस्जिद नहीं वहाँ परमात्मा नहीं ? तुरक मसीत, देहुरै हिंदू, दुहुठी राम खुदाई । ___ जहाँ मसीति देहुरा नाही, तहँ काकी ठकुराई २ ॥ निर्गुणी को मंदिर मस्जिद से कोई प्रयोजन नहीं। वह जहाँ देखता है, वहीं उसको परमात्मा के दर्शन हो जाते हैं। सर्वत्र परमात्मा ही परमात्मा है, सत्ता ही केवल उसकी है जहँ देखौं तह एक ही साहब का दीदार । नानक गुरु परसादी दुरमति खोई, जहँ देखा तहँ एको सोई ॥ सब संत इस बात का उद्घोष करने में एकमत हैं। किंतु निर्गुणियों का सर्वत्र परमात्मा का ही दर्शन करना केवल उसके अधिदेवत्व तथा व्यापकत्व का सूचक नहीं है। उन्मेष शोल जीव को इस बात का अनुभव होता है ___२. पूर्ण ब्रह्म कि मेरी सत्ता केवल भौतिक नहीं। अपनी पारमात्मिकता की भी उसे बहुत धुंधली सी झलक मिल जाती है। अतएव उद्धार की आशा से वह ऐसे किसी दृढ़ अवलंबन की प्राव (१) वही, पृ० १०४, ५१ । (२) वही, पृ० १०६, २८ । (३) सं० बा० सं० १, पृ० ३३। (४) 'ग्रंथ', पृ० १६३, पासा । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034974
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamsundardas
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1935
Total Pages526
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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