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________________ कवि जटमल रचित गोरा बादल की बात ३६५ पर गिरते हैं, ऐसे युद्ध में आपको नहीं जाना चाहिए। बादल ने उत्तर दिया कि यदि युद्ध में मृत्यु हुई तो श्रेष्ठ कहलावेंगे और जीते रहे तो राज्य का सुख भोगेंगे। हे स्त्री ! दोनों प्रकार से लाभ ही है। यदि सुमेरु पहाड़ चलायमान हो, समुद्र मर्यादा छोड़ दे, अर्जुन का बाण निष्फल जाय, विधाता के लेख मिट जायँ, तभी होनहार टल सकती है। मैं रण से कभी विमुख न होऊँगा। फिर उसने अपना जूड़ा (मस्तक के बाल) काटकर अपनी स्त्री को इस अभिप्राय से दिया कि उसके युद्ध में काम आने पर वह इस जूड़े के साथ सती हो जाय । ____ गढ़ से डोलियाँ नीचे लाई गई। उन पर सुगंधित अरगजा छिड़का हुआ था, जिससे चारों ओर भौरे मँडलाते थे। असली भेद बादशाह को मालूम नहीं हुआ। गोरा और बादल दोनों घोड़े पर सवार हुए। बादशाह के पास पहुँच उन्होंने सलाम किया और अर्ज की कि पद्मिनी के आने की खबर सुनकर आपके अमीर उसको देखने की इच्छा से दौड़ने लगे हैं, जो आपके एवं हमारे लिये लज्जा की बात है। इस पर बादशाह ने आज्ञा दी कि कोई उठकर पद्मिनी को देखने की चेष्टा करेगा तो वह मारा जायगा। तदनंतर उन्होंने शाह से कहा कि रत्नसेन को हुक्म हो जाय कि वह पद्मिनी से मिलकर उसे आपके सुपुर्द कर दे। सुलतान ने इस बात को स्वीकार कर लिया। फिर रत्नसेन जहाँ पर कैद था, वहाँ जाकर बादल ने अपने मस्तक को उसके चरणों पर रख दिया। उस पर राजा ने क्रोधित हो उससे कहा कि तूने बुरा काम किया कि पद्मावती को ले आया। इस पर बादल ने कहा कि पद्मावती को यहाँ नहीं लाये हैं। डोलियों को भीतर ले जाकर लुहार से राजा की बेड़ियाँ कटवाई। तबल के बजते ही सुभटगण डोलियों से निकल आए। रण-वाद्य बजने लगे। जिससे शुर वीरों का चित्त उत्साहित होने लगा। शाही सेना में कोला ३५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034973
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar Hirashankar Oza
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1933
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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