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________________ ३६६ नागरीप्रचारिणी पत्रिका हल मच गया। बात और की और हो गई । पद्मिनी अपनी ही ठौर रह गई और युद्ध के लिये राजपूत आ डटे। अफीम का सेवन किए हुए तीन सहस्र क्षत्रिय वीर मरने मारने को उद्यत हो गए। उधर बादशाह भी अपनी सेना को सज्जित कर हाथी पर सवार हो गया। युद्ध प्रारंभ हुआ। गोरा और बादल वीरता दिखलाकर शत्रुओं के सिर उड़ाने लगे। तलवार, तीर, भाले आदि शखों की वर्षा होने लगी और एक शाही अमीर के हाथ से गोरा मारा गया। बादल ने बहुत से शत्रुओं का संहार किया और राजा को बंधन से मुक्त कर घोड़े पर बिठला चित्तौड़ को भेज दिया। लोहू की नदियाँ बहने लगी, दोनों ओर के अनेक वीर मारे गए, अंत में बादल विजयी होकर लौटा। पद्मिनी ने आकर बादल की आरती की और मोतियों का थाल भरकर उसके मस्तक पर वारा। उस (पद्मिनी) ने उसको चिरजीव होने की आशीष दी। वह गोरा बादल की वीरता की प्रशंसा करने लगी। बादल की स्त्री उसको बधाई देकर शाह के हाथी के दाँतों पर घोड़े के पाँव टिकाने तथा शाह पर तलवार चलाने की प्रशंसा कर उसके उत्साह को बढ़ाने लगी। बादल की चाची (गोरा की स्त्री) बादल से आकर पूछने लगी कि मेरा पति युद्ध में लड़ता हुआ मारा गया, या भागता हुआ ? उसके उत्तर में बादल के मुख से गोरा की वीरता का वर्णन सुन गोरा की स्त्री अपने पति की पगड़ी के साथ सती हो गई। उपर्युक्त अवतरण से पाठकों को इस कथा का सारांश ज्ञात होगा। जायसी और जटमल के लेखों में जो अंतर है, उसके कुछ उदाहरण नीचे दिए जाते हैं मलिक मुहम्मद हीरामन तोते के द्वारा पद्मिनी का रूप सुनकर उस पर मोहित होना बतलाता है और जटमल भाटो द्वारा पद्मिनी का परिचय कराता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034973
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar Hirashankar Oza
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1933
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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