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________________ मनकी इच्छाएँ पूरी होती हैं तथा शान्ति और समाधि प्राप्त होती है। सर्वोत्तम मंत्र ॐ हीं अहं नमः विधि - इन बीजाक्षरों को हमेशा अपने मुख में जपते रहना। चाहिये, क्यों किये सर्वशक्ति संपन्न बीजाक्षर हैं। ऋषिमंडल मूल मंत्र ऋषिमंडल स्तोत्र का शुध्द पाठ करने के पश्चात् मूल मंत्र की माला गिनना अधिक लाभकारक होता है। मंत्र-ॐ हाँ हाँ हुँ हूँ हैं हैं हाँ हः ॐ असि आ उसा ज्ञान दर्शन चारित्रेभ्यो हीँ नमः। सूचना-उपरोक्त मंत्रो का तथा गुरू महाराज व्दारा दिये गये किसी भी मंत्र का जाप करने के पूर्व साधक को अपनी रक्षा करनी चाहिये। यात्रा करते वक्त भी यदि रक्षा का साधन अपने साथ होता है; तो अपनी यात्रा निर्विघ्न पूरी होती है। इसी प्रकार धर्मकार्य तथा इष्ट सिध्दि के कार्य भी खतरे से खाली नहीं होते; अतः मंत्रसाधक को सर्वप्रथम शरीर, वस्त्र तथा मन-वचन की शुध्दि करनी चाहिये। फिर आत्मरक्षा के लिए अपने मन में निम्नलिखित भाव लाने चाहिये श्री अरिहंत परमात्मा मेरे मस्तक की रक्षा कर रहे हैं। श्री सिध्द परमात्मा मेरे चक्षु तथा ललाट की रक्षा कर रहे हैं। आचार्य भगवन्त मेरे कानों की रक्षा कर रहे हैं। उपाध्याय भगवन्त मेरी नाक की रक्षा कर रहे है। साधु-मुनिराज मेरे पूरे शरीर की रक्षा कर रहे हैं। ' अतः मै निर्विघ्न और उपद्रव रहित हूँ। मुझे कोई भय नहीं श्रीमुनिसुव्रत स्वामी चरित ७० Shree Sudaneasami Ganbhandar MAMAAL...maraciyanbhandar.com bhandar.com
SR No.034967
Book TitleMunisuvrat Swami Charit evam Thana Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnanandvijay
PublisherRushabhdevji Maharaj Jain Dharm Temple and Gnati Trust
Publication Year1989
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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