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________________ . निम्नलिखित मंत्र का जाप करना ____ ॐ हीं श्री गौतम स्वामिने सुवर्ण लब्धि निधानाय ॐ हीं नमः। वस्त्रशुध्दि, शरीर शुध्दि और मुखशुध्दिपूर्वक इस मंत्र के १२,५०० जाप करना। फिर प्रतिदिन इसी मंत्र की एक माला गिनना। सर्राफ और कपडे के व्यापारियों को लाभ होगा। ३. ॐ हीं श्री गौतमस्वामी प्रमुख सर्वसाधुभ्यो नमः । उपरोक्त विधिपूर्वक इस मंत्र का जाप भी किया जाता है। लक्ष्मीदेवी कामंत्र ॐ ही अहं नमः विशा यंत्रधारिणी लक्ष्मी देवी मम वांछितं पूरय पूरय कुरू कुरू स्वाहा। विधि-लक्ष्मी देवी की तस्वीर के आगे वीशा यंत्र रखकर और दीप धूप रखकर एकाग्रता पूर्वक उपरोक्त मंत्र का जाप करना चाहिये। वीसा यंत्र यंत्र विभाग में आगे दिया गया है। 5 घंटाकर्णदेव का मूल मंत्र ___ ॐ हीं श्रीं क्लीं ब्लूँ ही घंटाकर्णो नमोऽस्तु ते नरवीर ठः ठः ठः स्वाहा। विधि - उत्तर दिशा की ओर मुँह करके लाल रंग की माला हाथ में ले कर इस मंत्र का जाप करना चाहिये। अचूक लाभ होगा। सर्व सिध्दि दायक मंत्र ॐ हीं श्रीं ऐं लोगस्स उज्जोअगरे धम्म तित्थयरे जिणे, अरिहंते कित्तइस्संचउवीसं पिकेवली मम मनोवांछितं कुरू कुरू ॐ स्वाहा। विधि - रात के समय शुध्दिपूर्वक रोज एक माला गिनने से न श्रीमुनिसुव्रत स्वामी चरित ६९ damar Gyanbhandar-mara, Goret rr Shre wwwmameragyenbhandar.com
SR No.034967
Book TitleMunisuvrat Swami Charit evam Thana Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnanandvijay
PublisherRushabhdevji Maharaj Jain Dharm Temple and Gnati Trust
Publication Year1989
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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