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________________ पद्मावतीसहिताय अट्टे मट्टे क्षुद्र विघट्टे क्षुदान- दुष्टान स्तंभय स्तंभय स्वाहा । विधि - चलते-फिरते, कोर्ट-कचेहरी में जाते, यात्रा करते हुए या दुकान की गादी पर बैठे बैठे भी इस मंत्र का जाप किया जा सकता है। यह तत्काल सिध्दिदायक सर्वोत्तम मंत्र है । पौष वदी दशमी (मारवाडी) के दिन आयंबिल पूर्वक इस मंत्र के १२,५०० जाप करके चारों तरफ लोहे का खीला जमीन में गाड देने से विघ्न - उपसर्ग, शत्रु, रोग, शोक आदि उपद्रव शान्त हो जाते हैं । ३. ॐ नमो धरणेन्द्र पद्मावतीसहिताय श्रीं क्लीं ऐं अर्ह नमः । विधि - किसी भी शुभ दिन से इस मंत्र की दस मालाएँ प्रतीदिन चालीस दिन तक गिनना । इससे मानसिक शान्ति प्राप्त होगी। श्री गौतम स्वामीजी से संबंधित मंत्र १. ॐ नमो भगव ओ गोयमस्स सिध्दस्स बुध्दस्स अक्खीण महाणस्स लध्दिसंपन्नस्स भगवन् भास्कर मम मनोवांछितं कुरू कुरू स्वाहा । विधि - श्री गौतम स्वामीजी की तस्वीर के सामने दीप- धूप पूर्वक इस मंत्र की एक माला रोज गिनना । गाँव में आते जाते गौतम स्वामी का सदा स्मरण करते रहना । अवश्य लाभ होगा । २. श्री तीर्थंकर गणधर प्रसादात् एष योगः फलतु । श्री सद्गुरू प्रसादात् एष योगः फलतु । प्रत्येक माला के प्रारंभ में इन दोनों पदों को बोलकर फिर पूरी माला में शुभ भावना पूर्वक तथा हृदय की स्वस्थता के साथ Shree Sudharmaswami-Gyan श्रीमुनिसुव्रत स्वामी चरित ६८ Umara, Sarat Camaragyanbhandar.com
SR No.034967
Book TitleMunisuvrat Swami Charit evam Thana Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnanandvijay
PublisherRushabhdevji Maharaj Jain Dharm Temple and Gnati Trust
Publication Year1989
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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