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________________ . " और श्रीमहावीर स्वामी भगवान के चरित्र विविध घटनाओं से परिपूर्ण है; पर श्रीमुनिसुव्रत स्वामी के चरित्र में घटना बाहुल्य नहीं है। इनके चरित्र में एक ही घटना उभर कर सामने आती है और वह है - अश्वावबोध। ठाणे श्री संघ की आग्रह भरी विनंती को ध्यान में लेकर पू. पन्यास श्री पूर्णानन्द विजयजी कुमार श्रमण' महाराज ने इस मुनिसुव्रत चरित्र की रचना की में घट यद्यपि श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान के चरित्र में घटनाओं की प्रचुरता नहीं है। फिर भी उनके शासनकाल में अनेक घटनाएँ घटी है और पूज्य मुनिश्री ने उन घटनाओं को इस चरित्र में स्थान दिया है। यही कारण है कि इस चरित्र के अन्तर्गत कार्तिकसेठ का प्रसंग लिया गया है और श्रीपाल चरित्र भी अंशिक रुप .. से प्रकट किया गया है। आशा है, पाठक गण इस चरित्र से प्रेरणा प्राप्त करेंगे और पूज्य मुनिराज के इस प्रयत्न को सफल बनायेंगे। - चंदनमल पूनमचंदजी जैन । वि.संवत २०४५ अध्यक्ष, श्री राजस्थान जैन संघ, था । श्रमण भगवान महावीर । जन्म कल्याणक Shree Sudhamaswami-Gyantbhandar-Urmeray-Sure
SR No.034967
Book TitleMunisuvrat Swami Charit evam Thana Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnanandvijay
PublisherRushabhdevji Maharaj Jain Dharm Temple and Gnati Trust
Publication Year1989
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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